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कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के बीच 4 हजार से ज्यादा युवाओं को अंगदान को लेकर किया जागरूक
-इंटरनेट के जरिए युवाओं तक पहुंचे आपटे काका
-अंगदान के अभाव में हर साल 4 लाख से ज्यादा मौत
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। कोरोना संक्रमण के दौरान जब दुनिया बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही थी 71 वर्षीय श्रीकांत आपटे और उनकी पत्नी नीला आपटे युवाओं को देहदान और अंगदान के लिए जागरूक कर रहे थे। लॉकडाउन और पाबंदियों के चलते किसी से मिलना जुलना संभव नहीं था इसलिए उन्होंने ऑनलाइन ट्रेनिंग का सहारा लिया और 4 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को देहदान और अंगदान के लिए जागरूक किया। यही नहीं विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले इन विद्यार्थियों की परीक्षाएं लेकर उन्हें सर्टिफिकेट और स्कॉलरशिप भी दी गई। दोनों लोगों के बीच आपटे काका और आपटे काकू के नाम से मशहूर हैं। एक बैंक में अधिकारी के तौर पर काम करने वाले आपटे काका ने सेवानिवृत्ति के बाद यह काम शुरू किया और देहदान की प्रक्रिया में परेशानी महसूस करने के बाद अब हर साल हजारों लोगों को अंगदान और देहदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आपटे काकू भी इस मुहिम में उनका पूरा साथ दे रहीं हैं दोनों मिलकर वी फॉर ऑर्गेंस नाम की एनजीओ बनाई है। आपटे ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान अंगदान बंद ही था। लोगों को जागरुक करने के लिए कार्यक्रम भी नहीं किए जा सकते थे इसलिए हमनें लोगों से जुड़ने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया। जानकारी के लिए छोटे छोटे वीडियो बनाए गए और फिर उस पर सवालों की सूची तैयार की गई। उम्मीद है कि ये युवा दूसरे लोगों को भी जागरूक करेंगे।
अंगदान के अभाव में हर साल 4 लाख से ज्यादा मौतें
आपटे ने बताया कि देश में हर साल प्रत्यारोपण के लिए 1 लाख 80 हजार किडनियों, 30 हजार लिवर, 50 हजार दिल की जरूरत होती है। इसके अलावा हादसों में जलने वाले 1 लाख 50 हजार लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए त्वचा की जरूरत होती है लेकिन अंगदान के अभाव में इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है। अगर लोग जागरुक हों और प्रशासन मुस्तैद हो तो इनमें से बड़ी संख्या में लोगों को बचाया जा सकता है। देश में हर साल औसत 6 हजार किडनी और 1500 लिवर का प्रत्यारोपण हो पाता है। इनमें से भी ज्यादातर अंग जीवित दान दाताओं से मिलते हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 25 सालों में जान गंवाने के बाद सिर्फ 2475 लोगों के अंग प्रत्यारोपित किए गए हैं। आपटे ने बताया कि ब्रेड डेड के मामलों में अगर परिवार वाले जागरूक हों और जल्द अंगदान के लिए सहमति हों तो बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि देश में साल 2019 में 1 लाख 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई। अगर समय पर पुलिस उन्हें अस्पताल ले जाए और इलाज के दौरान ब्रेन स्टेम डेथ हो तो अंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है। सरकारी डॉक्टरों को भी इस मामले में ज्यादा जागरूकता दिखानी होगी।
गहनों से ज्यादा कीमती हैं अंग
आपटे काका कहते हैं कि मृतकों के शरीर से उनके परिवार वाले गहने उतार लेते हैं। इसी तरह कुछ अंगों को भी गहना माना जाना चाहिए। इन अंगों के जरिए कोई और व्यक्ति जिंदा रह सकेगा। परिवार को महसूस करना चाहिए कि दान दिए अंगों के जरिए वह व्यक्ति किसी और शरीर में जिंदा है। एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगों का इस्तेमाल कर 8 से 37 लोगों तक की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि मौत के छह घंटे तक त्वचा ठीक रहती है। इसका इस्तेमाल जलकर मरने वालों डेढ़ लाख लोगों को बचाने के लिए किया जा सकता है। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।
Created On :   26 Jun 2022 7:54 PM IST