सरकारी उधारी पटाने के बाद भी कर्जदार हैं 60 से भी ज्यादा किसान
डिजिटल डेस्क,सतना। रामपुरबघेलान के अंतर्गत सेवा सहकारी समिति तपा में तकरीबन 50 लाख के गबन का गंभीर मामला, मध्यप्रदेश शासन की सहकारी सेवा संस्थाओं के आयुक्त के संज्ञान में होने के बाद भी तत्तकालीन कैशियर और प्रभारी सहायक समिति प्रबंधक अनिल गर्ग को जांच तक की आंच नहीं है। जबकि सूत्रों के मुताबिक तथ्य बताते हैं कि वर्ष 2022 की 31 मार्च की स्थिति में केंद्रीय सहकारी बैंक की रामपुर बाघेलान ब्रांच के रिकार्ड में बैलेंस की राशि जहां 1 करोड़ 41 लाख 56 हजार 860 रुपए है, वहीं तपा समिति के रिकार्ड में यही रकम महज 1 करोड़ 87 हजार 201 रुपए है। तकरीबन 50 लाख 3 हजार 858 रुपए का यह बड़ा अंतर गबन की श्रेणी में होने के बाद भी सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ जांच का विषय नहीं है।
17 सूत्रीय हैं आरोप
शिकायतों के मुताबिक कैशियर अनिल गर्ग को वर्ष 2012 से वर्ष जून 2022 तक सहायक समिति प्रबंधक तपा का प्रभार दिया गया था। आरोप है कि इसी दौरान गर्ग ने किसानों की ऋण माफी, बचत खाते और खाद-बीज ऋण की आड़ में आर्थिक धोखाधड़ी के बड़े-बड़े नायाब खेल खेले। फर्जीवाड़े के कारण समिति से जुड़े 60 से भी ज्यादा किसानों को न कर्ज माफी मिली और न ही फसल बीमा का लाभ मिला। इतना ही नहीं कर्ज पटाने के बाद भी ये किसान अभी भी कर्जदार हैं। जानकारों के अनुसार जनवरी 2020 में पहली बार तपा समिति के तबके प्रशासक ने सहायक प्रबंधक को 17 आरोपों पर स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस दी थी, मगर संतोषजनक जवाब नहीं मिले। और तो और, सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों के बाद भी स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार अफसरों की सेहत पर भी कोई फर्क नहीं है।
आर्थिक धोखाधड़ी को ऐसे समझें
किसानों ने केसीसी पर कृषि कार्य के लिए कर्ज लिए थे। कर्ज अदा भी कर दिए। किंतु तपा के तबके समिति प्रबंधक अनिल गर्ग ने किसानों को भुगतान संबंधी रसीदें तो दीं लेकिन राशियां कैश बुक में इंट्री नहीं की। यह भी जांच का विषय है कि रसीदें कहीं फर्जी तो नहीं हैं। किसानों के डीआरएम खाते में आई फसल बीमा राशि के गबन के लिए अनिल गर्ग ने किसानों के नाम पर जालासाजी के जरिए खाद-बीज के नाम पर राशि निकाली और खाद-बीज नकद में बेचकर रकम डकार ली। राशि के इस दुरुपयोग से किसान कर्ज नहीं लेने के बाद भी कर्जदार बन कर रह गए।
केस: 1: नोड्यूज के बाद भी नेमुआ के किसान के सिर पर 3.25 लाख कर्ज
नेमुआ गांव के किसान राजेश मिश्रा सभी कर्ज पटाने के बाद भी 3 लाख 25 हजार 672 रुपए के कर्जदार हैं। इसी 17 मार्च को इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब सहकारी केंद्रीय बैंक रामपुर बघेलान के ब्रांच मैनेजर अमरनाथ सोनी और वर्तमान सहायक समिति प्रबंधक रत्नेश शुक्ला ने उन्हें भारीभरकम बकाया की जानकारी दी। जबकि किसान राजेश मिश्रा पर 5 जुलाई 2022 की स्थिति में 48 हजार 442 रुपए का कर्ज था। जबकि वह अलग-अलग दो भुगतान कर पहले ही कर्ज पटा चुके हैं। सहायक समिति प्रबंधक अनिल गर्ग द्वारा दी गई दो रसीदें (रसीद नंबर 29, बुक नंबर -122152 और रसीद नंबर क्रमांक- 30, बुक नंबर 2152) उनके पास हैं। कोई कर्ज शेष नहीं होने का नोड्यूज सर्टिफिकेट उनके पास है। इसी आधार पर न केवल बैंक में बंधक जमीन मुक्त हो चुकी है,बल्कि उनके पास एसबीआई की रामपुर बाघेलान ब्रांच से 3 लाख का केसीसी भी है। इतना ही नहीं राजेश मिश्रा के डीआरएम खाते में ऋण माफी के मद में 59 हजार 700 रुपए की राशि आई थी।आरोप है कि समिति प्रबंधक अनिल गर्ग ने राजेश मिश्रा के इनके नाम से फर्जी खाद बीज लेना दर्शा कर राशि खुद हड़प ली।
केस-2 : लिमिट से ज्यादा कर्ज
सेवा सहकारी समिति तपा के अंतर्गत सगौनी के एक किसान श्यामलाल शुक्ला की व्यथा यह है कि उनके पास महज 68 डिसमिल जमीन होने के बाद भी फर्जीवाड़ा कर उनके नाम पर लिमिट से ज्यादा 34 हजार 549 रुपए का कर्ज बना कर कर्जमाफी का लाभ ले लिया गया। एक और किसान रामनरेश शुक्ला के खाते में ऋण माफी और फसल बीमा के मद में कुल 21 हजार 400 रुपए आए थे। उन्होंने एक जनवरी 2023 को जब धान बेची तो 13 हजार 225 रुपए की कटौती हो गई। बावजूद इसके उन पर 6 हजार 775 रुपए का कर्ज है।
केस-3 : मगर, फिर हैं डिफाल्टर
इसी समिति के अधीन बगहाई के किसान छत्रपाल सिंह 8 हजार 338 रुपए की नकद राशि फसल ऋण के रुप में प्राप्त की थी। उन्होंने धान बेची तो 7200 रुपए की राशि समायोजित हो गई। डीआरएम खाता चेक कराने पर पता चला कि जनवरी 2021 को सहायक समिति प्रबंधक अनिल गर्ग को 11 हजार 483 रुपए राशि का भुगतान (रसीद नंबर 99 बुक नंबर 1217) करने के बाद भी राशि जमा नहीं की गई। छत्रपाल अब डिफाल्टर किसानों में शामिल हैं।
Created On :   23 March 2023 5:37 PM IST