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MP: कैबिनेट मंत्री बोले- मैं महाराज सिंधिया का चमचा हूं और अंतिम सांस तक रहूंगा

हाईलाइट
- भाजपा नेता ने लेबर मिनिस्टर सिसोदिया को कहा था सिंधिया का चमचा
- महाराज जैसे बड़े कद के व्यक्ति का चमचा होना सौभाग्यशाली: सिसोदिया
- राजनीति छोड़ दूंगा, लेकिन महाराज सिंधिया को नहीं : सिसोदिया
डिजिटल डेस्क, अशोकनगर। मध्य प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर महेंद्र सिंह सिसोदिया ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए खुद को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का चमचा बताया। दरअसल गुना के भाजपा सांसद केपी सिंह ने उन्हें सिंधिया का चमचा कहा था, उन्होंने इसी का पलटवार किया। सिसोदिया ने कहा कि मैं महाराज सिंधिया का चमचा हूं तो हूं और अंतिम सांस तक रहूंगा। उन्होंने कहा कि महाराज सिंधिया ने मेरा जीवन संवारा और मुझे उनका चमचा होने पर गर्व है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब केपी सिंह द्वारा उन्हें सिंधिया का गुलाम कहने के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि 'केपी सिंह ने मुझे गुलाम नहीं चमचा कहा था। मैं महाराज सिंधिया का चमचा हूं तो इसमें क्या दिक्कत है? कल तक केपी यादव महाराज के चमचा नहीं थे क्या? उनकी गाड़ी के पीछे नहीं दौड़ते थे क्या? मुझे महाराज ने टिकट दिया। मुझे कैबिनेट मंत्री बनाया और मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं इतने बड़े कद के व्यक्ति का चमचा हूं। मैं तो चाहूंगा कि आप मुझे कढ़ाई भी कह दो।' इसके आगे उन्होंने कहा कि 'मैं राजनीति छोड़ दूंगा, लेकिन महाराज सिंधिया को नहीं छोड़ूंगा।'
अब सांसद के घर नहीं जाएंगे सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया 17 जनवरी को केपी यादव के पिता के निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त करने उनके घर जाने वाले थे, लेकिन इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक जनआक्रोश रैली में भाजपा सांसद डॉ. यादव ने कई सवाल खड़े किए। इसके बाद सिंधिया का यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।