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इस राखी पर बहन को शिवराज का तोहफा, 11वीं बार निलंबन बढ़ाया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। पिछले 4 साल से निलंबित एमपी की आईएएस ऑफिसर डॉ. शशि कर्णावत की निलंबन अवधि को इस बार रक्षाबंधन के दिन 11वीं दफे बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान डॉ. कर्णावत को बहन मानते हैं। लेकिन उनकी लगातार बढ़ती निलंबन अवधि में न तो राज्य सरकार डॉ. कर्णावत के खिलाफ कोई प्रमाणिक दस्तावेज पेश कर सकी है और न ही उनकी सेवा बहाली की मांग को मानने पर राजी है।
अलबत्ता डॉ. कर्णावत को इंसाफ की अदालत पर पूरा भरोसा है और उनके इरादे जरा भी नहीं झुके हैं। Bhaskarhindi.com से एक विशेष मुलाकात में उन्होंने अपने खिलाफ लगे सारे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि सरकार दुर्भावनापूर्वक उनके साथ नाइंसाफी कर रही है।
डॉ. कर्णावत से किए गए कुछ सवाल-जवाब के अंश इस प्रकार हैं-
1. सवाल- नियमानुसार सरकार किसी आईएएस को एक साल से ज्यादा निलंबित नहीं रख सकती, फिर क्यों निलंबन बढ़ाया जा रहा है?
डॉ. कर्णावत : रक्षाबंधन के दिन शिवराज सरकार ने जो मुझे पुनः तोहफा दिया, वो मुझे अंदर से हिला देने वाला था। इस त्योहार के दिन मुझे खबर मिली कि एमपी सरकार ने मेरी निलंबन अवधि 120 दिन और बढ़ा दी है। सरकार सक्षम है किसी भी समय सस्पेंशन को रिमूव करने के लिए, लेकिन सरकार जानबूझकर एक दलित महिला अधिकारी को परेशान करने के लिए ऐसा कर रही है।
2. सवाल- क्या आपको ऐसा लगता है कि दलितों के पक्ष में आवाज उठाना आपको नुकसानदेह साबित हो रहा है?
डॉ. कर्णावत : यह बिल्कुल सही है, क्योंकि मैंने आरक्षण को लेकर आयोजित एक रैली और एक सम्मेलन में शामिल हुई थी। शासन का जो दोहरा रवैया है कि सरकार बोलती कुछ है और करती कुछ है। मुझे तीन "राजनेतिक लोग" सीएम से मिलवाने ले गए थे। उस दौरान जो बातचीत हुई थी, वो मैंने SC/ST के अधिकारियों को बताया था कि जो सामने से आवाजें आ रही हैं, वो सही नहीं हैं। इसके पीछे का एजेंडा कुछ और है।
3. सवाल- सरकार आपके खिलाफ कोर्ट में अभी तक कोई भी प्रमाणिक दस्तावेज पेश नहीं कर पाई है। ऐंसा क्यों?
डॉ. कर्णावत : सरकार के पास कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं है। चाहे जीएडी हो, यूडब्ल्यू हो, गृहविभाग हो और चाहे विधि विभाग हो। जिस महिला अधिकारी ने ये दस्तावेज बनाए हैं, उसने कहा कि मैंने दस्तावेज सीलबंद करके सुरक्षित रखे हैं। सरकार को जब कोर्ट ने लिखा कि मूल दस्तावेज क्यों पेश नहीं किए जा रहे हैं, मैंने आवेदन दिया तब सरकार ने एक अधिकारी से हलफनामा दिलवाया कि दस्तावेज सरकार के पास हैं, जबकि दस्तावेज सरकार के पास नहीं हैं। ये पूरा तंत्र मिलकर काम कर रहा है कि कैसे इस दलित और सशक्त महिला अधिकारी को नौकरी से बाहर किया जाए।
4. सवाल- 18 अगस्त को BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भोपाल आ रहे हैं, तो क्या आप उनसे मिलेंगी? आपको उम्मीद है क्या कि उनसे मिलकर आपकी समस्याओं का हल निकलेगा?
डॉ. कर्णावत : जी हां। केंद्र और एमपी में BJP की ही सरकार है और वो BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो मैं उनको बताउंगी कि IPS/IAS/IFS के लिए जब नियम एक है, फिर कार्रवाई अलग-अलग क्यों? एमपी में जबलपुर से IFS अधिकारियों को सजा मिली थी। शिवपुरी से एक IAS अफसर को सजा मिली थी और मंडला से 2013 का मेरा केस है। तो मुझे 4 साल से सस्पेंड रखा गया है। एक कार्रवाई अलग चल रही है, दूसरा मुझे रक्षाबंधन के दिन पता चला कि मेरे विरूद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव भी भेजा गया।
छत्तीसगढ़ शासन ने सस्पेंड नहीं किया है, वहीं एमपी में भी 2-3 अफसर ऐसे हैं, जो सजा के बाद निलंबित भी नहीं हुए। तो मुझे नौकरी से बर्खास्त करना या मुझे अनिवार्य सेवानिवृत्ति देना, ये सरकार का कौन सा गुप्त एजेंडा है कि एक दलित महिला IAS अफसर को नेस्तनाबूत करने का प्लान बनाया जा रहा है। और मैं उनको ये चीज बताउंगी कि यदि एमपी में आपको दलित एजेंडा की बात करना है तो कृपया मेरे घर पर आकर भोजन करें या मुझे मिलने का समय दें। मैं उनको बता पाउंगी कि एक बेटी को दलित एजेंडा के कारण कैसे मारा जा रहा है। पीएम का सपना है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, लेकिन एमपी में कैसे पढ़ी-लिखी लड़की को मारने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
5. सवाल- आने वाली महिला अफसरों को आप क्या मैसेज देना चाहेंगी।
डॉ. कर्णावत :मैं सबसे कम उम्र में 1st पोजिशन पर डिप्टी कलेक्टर के लिए चयनित हुई थी। मुझे एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने कहा था कि नौकरी करना हो तो मजबूत खूंटा हो या पैसा हो। मेरे पास मजबूत खूंटा तो कोई नहीं था। मेरे पिता प्राइमरी स्कूल हेडमास्टर थे। आज के प्रशासन में मजबूत खूंटा और पैसा काम भी कर रहा है। ईमानदारों की कोई वेल्यू नहीं है। मैं महिलाओं से यही कहना चाहूंगी की वह ईमानदारी से काम करें, लेकिन IAS में आई हो तो बच्चे पालने और नौकरी बचाने के लिए नहीं आई हो। देश और प्रदेश कैसे तरक्की करे, महिलाओं की स्थिति कैसे सुधरे और बगैर राजनीतिक दबाव के कैसे राजनैतिक एजेंडे पर कार्य कर सकें, वैसा ही वो काम करें।
मैं अपनी नौकरी दांव पर लगाकर बोल रही हूं कि आज अगर मुझमें पुरुषों जैसी गलतियां होती, और मैं ले-देकर काम कर लेती या महिलाओं की तरह किसी के कंधे पर हाथ रखकर काम कर लेती या करवा लेती तो आज मैं एमपी की टॉप मोस्ट ब्यूरोक्रेट होती और सबकी प्रिय भी। आज मुझे जो झेलना पड़ रहा है वो नहीं झेलना पड़ता। मैं कहना चाहूंगी कि साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करें, लेकिन महिलाएं अपने कैरेक्टर का मॉरल लूज न करें।
Created On :   10 Aug 2017 2:47 PM IST