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फ्लाई एश का निर्माण कार्यों में उपयोग से पीछे है मप्र सरकार
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश के ताप विद्युत गृहों जिनमें कोयले का उपयोग किया जाता है, से निकलने वाली फ्लाई एश का थर्मल पावर प्लांट के तीन सौ किलोमीटर के रेडियस में निर्माण कार्यों में उपयोग करने में राज्य सरकार पीछे है जबकि भारत सरकार ने इन निर्माण कार्यों में सौ प्रतिशत तक फ्लाई एश की सीमा निर्धारित की हुई है।
गौरतलब है कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 25 जनवरी 2017 को अधिसूचना जारी कर कोयला या लिग्नाईट आधारित ताप विद्युत गृहों की तीन सौ किलोमीटर की परिधि में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधीन सड़क निर्माण परियोजनाओं तथा अन्य योजनाओं के तहत भवनों, सड़कों, बांधों और तटबंधों के निर्माण में फलाई एश के उपयोग का प्रावधान किया था तथा इसकी डेड लाईन 31 दिसंबर 2017 निर्धारित की थी, परन्तु मप्र में अब तक इसका पूरा पालन नहीं हो पाया है। जबकि मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने भी इसके उपयोग के संबंध में सभी निर्माण विभागों को निर्देश जारी किए थे।
राज्य के जल संसाधन विभाग को तो इसी माह इस प्रावधान पर अपनी सक्रियता दिखाना पड़ी है तथा उसने अपने सभी मुख्य अभियंताओं से कहा है कि वे थर्मल पावर प्लांट के 300 किमी की परिधि में निर्माण कार्यों में फ्लाई एश का उपयोग करें। प्रदेश में सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट, एमबी पावर लिमिटेड, एनटीपीसी तथा एमपी पावर जनरेशन कंपनी के थर्मल पावर प्लांटों से हर साल लाखों टन फ्लाई एश निकलती है तथा उनको रखने के लिए उन्हें राखड़ बांध बनाने पड़ते हैं। फ्लाई एश के निरन्तर बढ़ते जमाव से प्रदूषण की भी स्थिति निर्मित हुई है। वर्तमान में स्थिति यह है कि राज्य सरकार के निर्माण विभाग अपने निर्माण कार्यों में जो पीपीसी यानि पोर्टलैंड पोजोलाना सीमेंट का उपयोग कर रहे हैं उसमें फ्लाई एश का मिश्रण मात्र 15 से 20 प्रतिशत ही रहता है। इस प्रतिशत को बढ़ाने में असल दिक्कत यह है कि अभी ऐसी कोई विधि नहीं बनी है जिसमें फ्लाई एश के मिश्रण का प्रतिशत बढ़ाया जा सके। फ्लाई एश में पानी लगने पर वह खराब भी हो जाती है। यही कारण है कि ये निर्माण विभाग सौ प्रतिशत फ्लाई एश का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
भोपाल जल संसाधन मुख्य अभियंता भरत गोसावी का कहना है कि फ्लाई एश के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान चल रहे हैं। भारत सरकार ने इसके उपयोग की जो समय सीमा तय की है, उस पर अमल संभव नहीं है
Created On :   27 Dec 2017 12:53 PM IST