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'नर्मदा की तरह ही सोन नदी का सरंक्षण करे मप्र सरकार'
डिजिटल डेस्क,शहडोल। जनपद पंचायत बुढ़ार के पूर्व अध्यक्ष विक्रम सिंह ने प्रदेश सरकार से नर्मदा की तरह सोन नदी का सरंक्षण करने की मांग की है। विक्रम सिंह लंबे समय से सोन नदी के सरंक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इसके अलावा उन्होंने ओरिएंट पेपर मिल पर बकाया 6 सौ करोड़ रुपए की जल कर राशि की वसूलने की भी मांग की है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में विक्रम सिंह ने कहा कि नर्मदा सरंक्षण के लिए नमामि देवी नर्मदे कार्यक्रम का आयोजन स्वागत योग्य है। सरकार को अमरकंटक से निकली सोनभद्र की ओर भी ध्यान देना चाहिए। यह भी देश की प्रमुख नदियों में से एक है। इसके सरंक्षण के लिए कोई ठोस कदम राज्य और केंद्र सरकार को उठाना चाहिए। पत्र में सिंह ने कहा कि सोन नदीं देश की प्रमुख नदियों में से एक है। अपने उद्गमस्थल से निकलने के कुछ सौ किलोमीटर के बाद ही इसके अस्तित्व पर सवालिया निशान लग जाता है। इसके पीछे का कारण नदी किनारे स्थापित कारखाने एवं अवैध उत्खनन है।
शासन की मंशा के अनरूप शहडोल संभाग के विकास के लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने कई उद्योगों की स्थापना की। जो इसी जीवनदायिनी नदी के जल के भरोसे संचालित हैं। सोन नदी में हिंदुस्तान पॉवर प्रोजेक्ट जैतहरी ने स्थाई बांध का निर्माण कर लिया है और उसके माध्यम से जल का संचय किया जाता है। वहीं ओरियंट पेपर मिल ने अस्थायी रेत बांध का निर्माण कर जल संग्रह किया है। साथ ही इस पेपर मिल से निकलने वाले दूषित पानी को सोन नदी में छोड़ा जाता है। इन उद्योगों को मील का पत्थर माना जा रहा था ,लेकिन इसका उलटा हुआ है।आम लोगों के जीवन में न तो कुछ सुधार हुआ, न ही संभाग की बेरोजगारी दूर हुई।
पत्र में कहा गया है कि ग्रीष्मकाल में इन उद्योगों ने सोन नदी का पूरा जल प्रवाह रोक लिया है और बटुरा घाट के बाद नदी में पेपरमिल का दूषित पानी मिल रहा है। जहां एक ओर सारे नियम कायदों को ताक में रख जनहित की उपेक्षा कर एक इंडस्ट्री को पक्के डैम के निर्माण की परमिशन दे दी गई तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य शासन ने ओरियंट पेपरमिल से बकाया जल कर राशि की वसूली नहीं की। पहले की बकाया जल कर राशि के साथ लगभग 6 सौ करोड़ की राशि की वसूली भी बाकी है। इस विषय में राज्य सरकार की उदासीनता समझ से परे है।
Created On :   14 Aug 2017 3:27 PM IST