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अगले साल तक लटक सकते हैं मनपा चुनाव, नए सिरे से शुरु करनी होगी प्रक्रिया
डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह ‘कौशिक’। राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा महानगरपालिका चुनाव में सीटे बढ़ाने के ठाकरे सरकार के फैसले को रद्द करने के बाद इन चुनावों में देरी होने वाली है। राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों की माने तो नई सरकार के फैसले से नए सिरे से चुनाव प्रक्रिया शुरु करनी पड़ेगी। इस काम में तीन से चार महीने का समय लग सकता है। ये चुनाव अगले साल तक लटक सकते हैं। राज्य की ठाकरे सरकार ने राजनीतिक लाभ के मद्देनजर मुंबई मनपा सहित अन्य महानगरपालिकाओं के वार्ड रचना में बदलाव कर दिया था। मुंबई मनपा की 227 सीटों को बढ़ा कर 236 कर दिया गया था। पर अब राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार ने ठाकरे सरकार के फैसले को रद्द करते हुए 2017 के अनुसार चुनाव कराने का फैसला लिया है। राज्य चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि वार्ड रचना में ढाई से तीन महीने का समय लगता है। इस कार्य के लिए बड़े मैन पॉवर की भी जरुरत पड़ेगी। इस लिए संभव है कि मनपा चुनाव अगले साल फरवरी में हो। अधिकारी ने बताया कि महा विकास आघाडी सरकार ने जनसंख्या में साढे चार प्रतिशत की बढ़ोतरी का अंदाजा लगाते हुए महानगरपालिका और नगर परिषदों में सदस्यों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया था। लेकिन अब नई सरकार ने महा आघाडी सरकार के फैसले को नियमों के विपरित बताते हुए रद्द कर दिया है। इस लिए अब नए सिरे से चुनाव प्रक्रिया शुरु करनी पड़ेगी। मनपा चुनाव के लिए आरक्षण लॉटरी की प्रकिया भी पूरी कर ली गई थी। अब फिर से लॉटरी निकालनी होगी। उन्होंने बताया कि नए फैसले को लेकर अध्यादेश जारी होने में भी समय लगेगा। अध्यादेश जारी होने के बाद नए सिरे से चुनाव प्रक्रिया शुरु की जाएगी। महानगरपालिका चुनाव को लेकर जारी अध्यादेश को कानून में परिवर्तित करने के लिए विधानमंडल के मानसून सत्र में विधेयक लाना होगा।
करने पड़ेंगे ये काम
महानगरपालिकाओं के चुनाव के लिए अब फिर वार्ड रचना प्रारूप की घोषणा, उस पर आपत्तियां-सुझाव आमंत्रित करने, आपत्तियों-सुझावों पर सुनवाई कर अंतिम वार्ड रचना के बाद आरक्षण लॉटरी निकालनी पड़ेगी। लॉटरी पर भी आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित करने के बाद अंतिम आरक्षण की घोषणा करनी होगा। इसके बाद मतदाता सूची का प्रकाशन, उस पर आपत्तियां-सुझाव आमंत्रित करने, अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन, केंद्रवार मतदाता सूची तैयार करने के बाद चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करनी होती है। इसके अलावा, चुनाव प्रक्रिया के संचालन के लिए चुनाव कर्मचारियों को तीन बार प्रशिक्षित भी करना पड़ता है।
पहले कोरोना, फिर ओबीसी आरक्षण और अब नए फैसले से लटके चुनाव
राज्य की कई महानगरपालिकाओं का कार्यकाल दो साल पहले खत्म हो चुके हैं। इन महानगरपालिकाओं का कामकाज प्रशासक के भरोसे चल रहा है। पहले कोरोना संकट के चलते इन महानगरपालिकाओं के चुनाव समय पर नहीं हो सके। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्थानिय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया। ओबीसी आरक्षण बहाली को लेकर चल रही प्रक्रिया के चलते इन महानगरपालिकाओं के चुनाव रुके रहे। सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी आरक्षण बहाल होने के बाद राज्य में चुनावी संग्राम शुरु होने ही वाला था कि सत्ता परिवर्तन हो गया और नई सरकार ने पिछली सरकार के फैसले को रद्द कर दिया।
2020 में समाप्त हो चुके हैं इन मनपा के कार्यकाल
राज्य की नई मुंबई, औरंगाबाद, कल्याण-डोंबिवली, वसई-विरार, परभणी और कोल्हापुर महानगरपालिका का कार्यकाल 2020 में ही समाप्त हो चुका है। औरंगाबाद मनपा का कार्यकाल 27 अप्रैल 2020 को खत्म हो गया था जबकि नई मुंबई मनपा का कार्यकाल 4 मई 2020 को समाप्त चुका है। इस साल 4 मार्च को नागपुर मनपा और 7 मार्च को मुंबई मनपा का भी कार्यकाल समाप्त हो गया। देश की सबसे समृद्धिशाली महानगरपालिका मुंबई मनपा चुनाव पर तो पूरे देश की नजर लगी हुई है।
2022 में इन महानगरपालिकाओं के होने हैं चुनाव
मनपा कार्यकाल समाप्ति तिथि
मुंबई 7 मार्च 2022
नई मुंबई 4 मई 2020
ठाणे 5 मार्च 2022
नागपुर 4 मार्च 2022
चंद्रपुर 29 अप्रैल 2022
अकोला 8 मार्च 2022
अमरावती 8 मार्च 2022
औरंगाबाद 27 अप्रैल 2020
नाशिक 13 मार्च 2022
मालेगांव 13 जून 2022
लातूर 21 मई 2022
नांदेड 31 अक्टूबर 2022
कल्याण-डोंबिवली 10 नवंबर 2020
उल्हासनगर 4 अप्रैल 2022
भिवंडी 8 जून 2022
पनवेल 9 जुलाई 2022
मीरा-भायंदर 27 अगस्त 2022
वसई-विरार 28 जून 2020
परभणी 15 मई 2022
पुणे 4 मार्च 2022
पनवेल 9 जुलाई 2022
सोलापुर 7 मार्च 2022
कोल्हापुर 15 नवंबर 2020
पिंपरी चिंचवड 13 मार्च 2022
Created On :   5 Aug 2022 9:15 PM IST