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विद्यार्थियों को रोजगार देने वाली शिक्षा से जोड़ेगी मनपा, इस साल करीब 15.80 लाख रुपए होगा खर्च
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगरपालिका के स्कूलों में लगातार छात्रों की संख्या में कमी आ रही है। अंग्रेजी स्कूलों के लिए रुझान और मनपा स्कूलों में संसाधनों के अभाव से स्थिति बेहद खराब हो रही है। ऐसे में अब छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा से जोड़ने की पहल की गई है। शिक्षा विभाग ने कक्षा 9वीं और 10वीं के दुर्बल घटक प्रवर्ग के 377 छात्रों को संगणक प्रशिक्षण (कम्प्यूटर ट्रेनिंग) देने की योजना आरंभ की है। इस योजना से दोहरा लक्ष्य पाने का प्रयास शिक्षा विभाग कर रहा है। पिछले कई वर्ष से इस फंड की राशि खर्च नहीं हो पा रही थी, वहीं छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा का भी अभाव बना हुआ था। इस साल योजना में 15.8 लाख रुपए से 377 छात्रों को एमएससीआईटी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिछले माह की आमसभा में प्रस्ताव को पारित कर तत्काल लागू करने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में अब शिक्षा विभाग शहर के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले संगणक संस्थानों की जांच कर रहा है। इन छात्रों को प्रशिक्षण के बाद नई राह मिलने की उम्मीद है।
4 अक्टूबर को रखा गया था प्रस्ताव
मनपा की 4 अक्टूबर की आमसभा में छात्रों को एमएससीआईटी प्रशिक्षण देने के प्रस्ताव को रखा गया था। महापौर दयाशंकर तिवारी और शिक्षाधिकारी प्रीति मिश्रीकोटकर के माध्यम से सदन को योजना की पूरी जानकारी दी गई। इसके बाद सदन ने तकनीकी प्रशिक्षण के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। योजना को वर्तमान सत्र में ही लागू किया जा रहा है। मनपा के स्कूलों में दुर्बल घटक प्रवर्ग के करीब 377 विद्यार्थी मौजूद हैं। इनमें से कक्षा 9वीं में अनुसूचित जाति, जनजाति, विमुक्त भटक्या प्रवर्ग एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के करीब 327 विद्यार्थी हैं, जबकि कक्षा 10वीं में अनुसूचित जाति, जनजाति, विमुक्त भटक्या प्रवर्ग एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के करीब 50 विद्यार्थी हैं। प्रत्येक छात्र के प्रशिक्षण में अनुमानित रूप से 3 से 4 हजार रुपए खर्च आएगा। इस साल योजना पर करीब 15.80 लाख रुपए खर्च होगा।
निधि का उपयोग अब संभव
पिछले कई साल से मनपा में दुर्बल घटक प्रवर्ग के लिए (पिछड़ा प्रवर्ग शिष्यवृत्ति) के लिए निधि को आरक्षित रखा जा रहा है। पांच साल पहले तक प्रति वर्ष 3 लाख रुपए का प्रावधान किया जाता था, लेकिन छात्रों की संख्या में और शैक्षणिक गुणवत्ता में कमी के चलते राशि खर्च नहीं हो पाती थी। तीन साल पहले इस प्रावधान में 10 लाख रुपए तक आरक्षित रखे जाने लगे, लेकिन निधि भी खर्च नहीं हो पाई। इस साल के बजट में शिक्षा विभाग को 15 लाख रुपए इस योजना में मिले हैं। इस साल की राशि के भी अखर्चित रहने की स्थिति को देखते हुए छात्रों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया गया है।
Created On :   14 Nov 2021 3:05 PM IST