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बच्चे के साहस से खुला था हत्या का मामला, आरोपी पहुंचे सलाखों के पीछे -हिम्मत की मिसाल
डिजिटल डेस्क शहडोल । अपराधियों के खिलाफ कुछ भी बोलने में बड़े बड़ों को पसीना आ जाता है। सब कुछ जानते हुए भी लोग खामोश रहते हैं। यही कारण है कि बहुत से मामलों में पुलिस आरोपी तक नहीं पहुंच पाती है। एक 11 वर्ष के बालक की हिम्मत ने पुलिस को न सिर्फ हत्या का खुलासा करने में मदद की, बल्कि आरोपियों को भी जेल में पहुंचा दिया है। छठवीं कक्षा में पढऩे वाले इस बालक का नाम स्कूल के तरफ से वीरता पुरस्कार के लिए भेजा जा रहा है।
किया अपहरण का प्रयास
मामला करीब डेढ़ वर्ष पुराना है। बुढ़ार के पंचवटी मोहल्ले के पास रात के समय एक बुजुर्ग की हत्या हो गई थी। आरोपियों ने बुजुर्ग को डंडे से पीट-पीट कर मार डाला था। इस घटना को मोहल्ले के ही 11 वर्षीय धर्मजय ङ्क्षसह पुत्र मृत्युंजय सिंह ने देख लिया था। पहले तो वह चुप रहा, लेकिन कुछ दिन बाद ही एक आरोपी उस बच्चे को उठा ले गया और उसका मुंह दबाने लगा। किसी तरह उसके चंगुल से छूटकर भागे बालक ने पूरी घटना अपने पिता को बताई। इसके बाद पिता ने वकील की मदद से पुलिस को सूचना दी।
बच्चे ने दोनों को पहचान लिया
बुढ़ार निवासी एडवोकेट शैलेंद्र सिंह बच्चे और उसके पिता को पुलिस के पास लेकर गए थे। उन्होंने बताया कि बच्चे पुलिस को पूरी घटना बताई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी राहुल नामदेव को उठा लिया था। थाने में ही बच्चे से उसकी पहचान भी कराई गई, लेकिन बच्चा डरा नहीं। इसके बाद दूसरे आरोपी कुचबंदिया को भी बच्चे ने पहचान लिया। कोर्ट में भी पहचान कार्रवाई हुई थी।
विशेष कोर्ट में चल रही सुनवाई
पुलिस ने आरोपियों पर 302 का मुकदमा कायम किया था। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। प्रकरण अभी भी शहडोल के विशेष कोर्ट में चल रहा है। दोनों आरोपी अभी जेल में ही हैं। बुढ़ार थाने के तत्कालीन स्टाफ ने बताया, हमें पहले ही उस युवक पर शक था, लेकिन जब बच्चे ने पूरी घटना बताई तो इसकी पुष्टि हो गई। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
वीरता पुरस्कार के लिए भेजेंगे नाम
बालक बुढ़ार के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पढ़ता है। स्कूल के प्राधानाचार्य मृगेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चे ने साहस की मिसाल पेश की है। जहां बड़े-बड़े घबरा जाते हैं, उसने साहस दिखाते हुए आरोपियों की पहचान की। उसके साहस की वजह से ही आरोपी आज जेल में हैं। हम सरकार की वीरता पुरस्कार योजना के लिए स्कूल की तरफ से बच्चे का नाम भेजने की कार्रवाई कर रहे हैं।
इनका कहना है
हमारा शक आरोपी पर था। पता भी चला था कि बुजुर्ग के पास दोनों आते हैं। जब बच्चे ने घटना के बारे में बताया तो शक पक्का हो गया।
अनिल पटेल, तत्कालीन थाना प्रभारी
Created On :   23 Sept 2019 2:36 PM IST