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किसान आंदोलन में बौद्ध नेताओं की हुंकार, मुस्लिम युवकों ने बांटे फल, सभी ने एक आवाज में कहा- रद्द करो किसान कानून
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान आंदोलन की चिंगारी राजधानी दिल्ली से संतरानगरी तक पहुंच गई। जिसे लेकर सिख संस्थाओं ने ऑटोमोटिव चौंक कामठी रोड पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान महिलाओं के अलावा काफी संख्या में युवक भी मौजूद थे। खास बात है कि मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन के वक्त फल और पानी का वितरण किया। मुस्लिम युवकों ने कहा कि यह कानून जबरन थोपे गए हैं। जिससे किसान खुश नहीं हैं, उन्होंने सरकार किसान कानून रद्द करने की अपील की है।
मुंबई और आसपास के इलाकों में बंद का मिलाजुला असर
उधर महानगर मुंबई और आसपास के जिलों में भारत बंद का मिलाजुला असर रहा। रेलवे, मेट्रो, मोनो, ऑटो-टैक्सी, सरकारी बसें सामान्य रूप से चलतीं रहीं हालांकि इसमें सफर करने वालों की तादात कुछ कम थी। भारत बंद के दौरान फल, सब्जियों, फूलों के बाजार नहीं खुले। इसके अलावा कई इलाकों में दुकाने भी बंद रहीं। खासकर शिवसेना के प्रभाव वाले इलाकों में ज्यादा संख्या में दुकाने बंद नजर आईं। बंद के दौरान कई जगह विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। बंद के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। लोकल ट्रेनों में फिलहाल आम लोगों को सफर की इजाजत नहीं हैं इसलिए ज्यादातर लोग यात्रा के लिए सरकारी और निजी बसों का सहारा लेते हैं लेकिन मंगलवार सुबह इन बसों में कम भीड़भाड़ नजर आई। लोकल ट्रेनों में भी सामान्य से कम भीड़ दिखी। यात्रियों की संख्या में कमी को देखते हुए बेस्ट और दूसरी महानगर पालिकाओं द्वारा चलाई जाने वाली बसें भी कम संख्या में सड़कों पर उतरीं। मुंबई के दादर इलाके में फूल, फल और सब्जियों की दुकाने बंद रहीं। शिवसेना ने बंद को समर्थन दिया था इसलिए उसके प्रभाव वाले लालबाग, कालाचौकी, परेल, वरली, शिवडी, प्रभादेवी जैस इलाकों में ज्यादातर दुकाने बंद रहीं। दक्षिण मुंबई के मनीष मार्केट, क्राफर्ड मार्केट, मुसाफिर खाना इलाकों में भी बड़ी संख्या में दुकाने बंद रहीं। इसके अलावा भायखला, झवेरी बाजार, मोहम्मद अली रोड, नल बाजार डायमंड मार्केट में भी सामान्य से कम भीड़भाड़ नजर आई। बांद्रा, मालाड, बोरिवली जैसैे पश्चिमी उपनगरों में भी बंद का मिलाजुला असर दिखा कुछ व्यापारियों ने दुकाने बंद रखी थी। मुंबई कृषि उत्पन्न बाजार समिति ने बंद का समर्थन किया था। इसलिए व्यापारियों और मजदूरों ने बंद के दौरान काम नहीं किया। नई मुंबई एपीएमसी बंद रही और यहां भी कई दुकाने बंद थीं। ठाणे के कुछ इलाकों में भी दुकानें बंद नजर आईं। सरकारी कार्यालयों और निजी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति कम दिखी। बंद के दौरान बैंकों और अस्पतालों में कामकाज सामान्य रूप से चला। मुंबई पुुलिस ने भी एहतियातन सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे। एसआरपीएफ की 9 प्लाटून भी महानगर के विभिन्न इलाकों में तैनात थी। मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी चैतन्य एस ने बताया कि बंद शांतिपूर्ण रहा और महानगर में कहीं कोई हिंसक घटना नहीं हुई।
महानगर से उत्तरी हिस्से में बंद का मिला जुला असर देखा गया। दवा- राशन की दुकानें छोड़कर कुछ दुकानें खुली रही, तो कुछ बंद में शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान किसी तरह का कोई चक्काजम नहीं किया गया। दोनो तरफ सड़कों पर आवाजाही जारी रही। पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे। प्रदर्शन के दौरान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपील की थी कि वह रास्ता अवरूद्ध न होने दें, आम लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। कुल मिलाकर संतरा नगरी में यह बंद शांतिपूर्ण रहा।
प्रदर्शन के दौरान बौद्ध धर्म से जुड़े नेता भी मौजूद रहे, सभी ने एक ही स्वर में किसान कानून रद्द करने की मांग की।
इन तीन कानूनों का विरोध
मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020
आवश्यक वस्तु (अनुसंधान) अधिनियम, 2020
किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधाएं) अधिनियम, 2020
इसके अलावा शिवसेना का झंडा लिए युवक किसान कानून के खिलाफ नारे लगाते दिखाई दिए। इस बंद को शिवसेना के अलावा कांग्रेस और सहियोगी दलों का भी समर्थन मिला।
विदर्भ के कई स्थानों पर रोका रास्ता
भारत बंद के दौरान मंगलवार को विदर्भ के अनेक जिलों में विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन किया। इस समय अमरावती जिले के तिवसा बाजार के पेट्रोल पंप चौक पर, वरुड शहर के पांढुर्णा चौक, नांदगांव खंडेश्वर आदि जगहों पर चक्काजाम आंदोलन किया गया। धामणगांव के देवगांव में किए गए चक्काजाम से तीन घंटे तक नागपुर-औरंगाबाद मार्ग का यातायात ठप रहा। वर्धा जिले के सावंगी बायपास परिसर, सेलू के नागपुर-तुलजापुर महामार्ग पर चक्काजाम आंदोलन किया गया। गोंदिया में राकांपा के वरिष्ठ नेता और सांसद प्रफुल पटेल भी हुए शामिल हुए। इधर गड़चिरोली जिले में बंद को देखते हुए निजी बसेस, काली-पीली और ऑटो रिक्शा बंद रहे। यवतमाल जिले के नेताजी मार्केट और नए बस स्टैंड परिसर में टायर जलकर यातायात रोकने का प्रयास किया गया।
गुरुद्वारा कमेटी और ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस कमेटी, यूनिटी ट्रक्स एसोसिएशन के बैनर तले बंद को समर्थन दिया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लेकर केंद्र की नीतियों का विरोध कर कृषि कानून रद्द करने की मांग कर रहे थे। चौक पर भव्य मंच बनाकर गुरुद्वारा कमेटी और ट्रक्स एसोसिएशन के नेताओं ने अपने भाषण में कृषि कानून को काला कानून बताकर केंद्र सरकार का विरोध किया।
बाबा बुड्ढा जी नगर के गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मलकीत सिंह बल ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कहा कि किसान कानून बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया है, कभी सोचा नहीं था पंजाब जैसे राज्य में भी किसान आत्महत्या करेंगे। सरकारों को किसानों की भलाई के बारे में विचार करना चाहिए। किसान पंजाब का हो या महाराष्ट्र का, उसकी अपनी दिक्कतें और परेशानियां हैं, जो लगभग एक सी ही हैं, किसान को प्रांतों और धर्म-समाज के नाम पर बांटा नहीं जा सकता। हमारा फर्ज है कि हम उनके साथ खड़े हों।
बल ने कहा कि जिस कानून के लिए किसान राजी नहीं, वह उसपर जबरदस्ती थोप दिया गया है। केंद्र को जल्द से जल्द इसे रद्द करना चाहिए, देशभर के किसान ठंड में दिल्ली की सड़कों पर बैठे हैं। जिन्होंने देश का पेट भरा है। देश में हरित क्रांति के लिए अपना योगदान दिया। पंजाब की किसानी से बिहार का गरीब तबका भी पल रहा है, जो ज्यादा मेहनताना पाने पंजाब जाते हैं। किसान आंदोलन अब देश तक सीमित नहीं रहा, बलकि दुनियांभर के लोग किसानों से साथ खड़े हो गए हैं। उन्होंने ने केंद्र सरकार से अपील की है कि किसानों की भावनाएं समझकर खुले दिल से बड़ा फैसला लिया जाए।
Created On :   8 Dec 2020 9:08 PM IST