फिर टलेगा नैक मूल्यांकन, कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल

NAAC assessment will be postponed again, question on quality of colleges
फिर टलेगा नैक मूल्यांकन, कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल
फिर टलेगा नैक मूल्यांकन, कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन का शिक्षा वर्ग पर खूब असर पड़ रहा है। शिक्षा संस्थाओं की गुणवत्ता का दर्जा टटोलने वाले नेशनल एकेडेमिक एक्रिडेशन काउंसिल (नैक) की मूल्यांकन प्रक्रिया ठप पड़ी है। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय और संलग्न कॉलेजों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है। पहले जहां खुद विश्वविद्यालय ने एसएसआर रिपोर्ट तैयार करने में देर की, अब लॉकडाउन के कारण विवि का मूल्यांकन कई महीनों के लिए टल गया है। विश्वविद्यालय जब नैक को एसएसआर रिपोर्ट भेजेगा, उसके बाद मूल्यांकन पूरा करने में नैक को तीन से चार माह लगेंगे। इसी बीच विश्वविद्यालय का नैक का दर्जा भी निरस्त रहेगा, क्योंकि इसकी अवधि काफी पहले समाप्त हो चुकी है।

संलग्न कॉलेजों की स्थिति अच्छी नहीं

विवि से संलग्न कॉलेजों की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है। विवि से संलग्न 75 फीसदी कॉलेजों के पास नैक का मूल्यांकन नहीं है, जबकि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए यूजीसी समेत राज्य उच्च शिक्षा विभाग भी लगातार मूल्यांकन पर जोर दे रहा है। नागपुर यूनिवर्सिटी से संलग्न कॉलेजों की स्थिति देखें तो यूनिवर्सिटी से संलग्न 503 काॅलेजों में से महज 130 कॉलेजों का नैक मूल्यांकन हुआ है। शेष 373 कॉलेज बगैर नैक मूल्यांकन के संचालित हो रहे हैं। ऐसे में गुणवत्ता के मापदंडों में यूनिवर्सिटी के 75 फीसदी कॉलेजों का कुछ अता पता नहीं है। बता दें कि, नैक कुल 7 मापदंडों पर कॉलेजों का मूल्यांकन कर उन्हें ग्रेड प्रदान करता है। इसमें शैक्षणिक पहलू, टीचिंग-लर्निंग-इवोल्यूशन, रिसर्च एंड इनोवेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टूडेंट सपोर्ट, गर्वनेंस और लीडरशिप मैनेजमेंट और संस्थान के नैतिक तत्वों का समावेश होता है।

क्यों जरूरी है मूल्यांकन

नैक के मूल्यांकन के बाद ही किसी भी शिक्षा संस्थान को परिपूर्ण समझा जाता है। नैक के दर्जे के आधार पर ही यूजीसी और रूसा संस्थान को निधि जारी करते हैं। नैक मूल्यांकन के ऐसे कई फायदे होते हैं, जो विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होते हैं, लेकिन नैक की कुछ अनिवार्य शर्तें होती हैं। जिसमें कॉलेज में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, विद्यार्थियों से मिलने वाला फीडबैक जैसे पहलू शामिल होते हैं। सरकार द्वारा अनुदानित कॉलेजों के लिए तो नैक मूल्यांकन एक हद तक आसान होता है, लेकिन गैर अनुदानित कॉलेज मापदंडों पर खरे उतरने लायक सुविधाएं विद्यार्थियों को नहीं दे पाते। उल्लेखनीय है कि, अक्टूबर 2017 में राज्य सरकार ने भी एक जीआर जारी करके कॉलेजों को अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन कराने के निर्देश दिए थे। ऐसा नहीं करने पर छात्रवृत्ति पर रोक लेने की चेतावनी भी दी थी। हालांकि इसके लिए कॉलेजों को एक निर्धारित समयावधि दी गई है, लेकिन मौजूदा स्थिति में नागपुर यूनिवर्सिटी से संचालित कॉलेज नैक के प्रति रूचि नहीं दिखा रहे हैं।

Created On :   10 April 2020 3:27 PM IST

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