जांच समिति ने स्टाफ का वेतन रोकने, प्रताड़ित करने का दोषी करार दिया

Nagpur and Wardha have 10 colleges on the radar on issues
जांच समिति ने स्टाफ का वेतन रोकने, प्रताड़ित करने का दोषी करार दिया
रडार पर हैं नागपुर और वर्धा के 10 कॉलेज जांच समिति ने स्टाफ का वेतन रोकने, प्रताड़ित करने का दोषी करार दिया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा गठित विशेष जांच समिति ने नागपुर और वर्धा के 10 कॉलेजों के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच पूरी कर ली है। समिति ने जांच पूरी करके अपनी अंतरिम रिपोर्ट विवि कुलगुरु डॉ.सुभाष चौधरी को प्रस्तुत कर दी है। अब कुलगुरु को इस रिपोर्ट के आधार पर आदेश जारी करने हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपनी रिपोर्ट में समिति ने कॉलेज स्टाफ की उन शिकायतों को सही पाया है जिसमें स्टाफ ने कॉलेज प्रबंधनों पर वेतन अदा न करने, पीएफ खातों का संचालन न करने और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। दोषी कॉलेजों की सूची में कुल 10 कॉलेज शामिल हैं, जिनमें शहर के कई नामी-गिरामी कॉलेजों का समावेश है। समिति ने सभी आरोपी कॉलेजों को एक सप्ताह में स्टाफ का बकाया वेतन देने के आदेश दिए हैं। अब तक कुलगुरु डॉ.सुभाष चौधरी ने इस संबंध में आदेश जारी नहीं किए हैं। 

ये हैं शिकायतें

शहर के निजी बगैर अनुदानित कॉलेजों में इन दिनों स्टाफ के बुरे हाल हैं। कई महीनों से स्टाफ का वेतन नहीं हुआ है। नियमानुसार प्रत्येक स्टाफ का पीएफ खाता खुलना चाहिए, अनेक कॉलेजों ने खाते नहीं खोले हैं। वहीं कॉलेज अपने स्टाफ पर कई प्रकार की मानसिक प्रताड़नाएं कर रहा है। बीते कुछ महीनों में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय को ऐसी ढेरों शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसके बाद  मैनेजमेंट काउंसिल की अनुमति विशेष समिति गठित की थी। समिति ने सभी आरोपी कॉलेजों में जाकर दस्तावेज देखे, स्टाफ की गवाही ली और अपनी रिपोर्ट तैयार करके विवि में कार्रवाई के लिए प्रस्तुत की है। डॉ.आर.जी.भोयर समिति के अध्यक्ष हैं। डॉ.उर्मिला डबीर, प्रोफेसर नितीन कोंगरे, मैनेजमेंट काउंसिल सदस्य विष्णु चांगदे, उपकुलसचिव डॉ.रमण मदने इस समिति के सदस्य हैं। 

35 महीने का वेतन बकाया है

समिति की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बाते सामने आई है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6 माह से लेकर तो 35 महीने तक के वेतन बकाया है। बीच-बीच में स्टाफ को एक मामूली रकम देकर शांत रहने को कहा जाता है। इतना ही नहीं, कई कॉलेजों ने अपने स्टाफ के पीएफ खाते तक नहीं खोले। कर्मचारी जब भी वेतन मांगने जाते हैं तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। शिक्षकों को कॉलेज में एंट्री नहीं दी जाती, ऑनलाइन क्लास नहीं लेने दी जाती। ऐसे अन्य तरीकों से स्टाफ की प्रताड़ना की जा रही है। 

कॉलेज सेक्शन नहीं दे रहा जानकारी 

पीड़ित प्राध्यापकों ने भास्कर को बताया कि नागपुर विश्वविद्यालय की समिति ने जो अंतरिम रिपोर्ट दी है, उसमें क्या जिक्र किया गया है, कर्मचारियों के लिए कौन सी राहत देने की सिफारिशें की गई हैं। यह सब अत्यंत गोपनीय रखा जा रहा है। अनेक प्राध्यापकों ने विवि के कॉलेज सेक्शन में आरटीआई डाल कर समिति की अंतरिम रिपोर्ट की प्रति मांगी है, लेकिन गोपनीयता का हवाला देकर उन्हें जानकारी नहीं दी जा रही है, जबकि नियमानुसार पीड़ित पक्ष को रिपोर्ट की जानकारी दी जानी चाहिए। 

इनका है समावेश 

गुरुनानक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, नागपुर 
बापूराव देशमुख कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, सेवाग्राम 
प्रियदर्शिनी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, नागपुर 
प्रियदर्शिनी भगवती कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नागपुर
प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नागपुर
प्रियदर्शिनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नागपुर 
अण्णासाहेब गुंडेवार कॉलेज, नागपुर
एसबी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, नागपुर 
जेडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट
कवि कुलगुरु इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, नागपुर

Created On :   18 Aug 2021 1:58 PM IST

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