जब तक घटना की कड़ी न जुड़े आरोप सिद्ध नहीं हो सकता

Nagpur Bench - Unless the charges related to the incident can be proved
जब तक घटना की कड़ी न जुड़े आरोप सिद्ध नहीं हो सकता
नागपुर खंडपीठ जब तक घटना की कड़ी न जुड़े आरोप सिद्ध नहीं हो सकता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालियां फैसले में स्पष्ट किया है िक, हत्या के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए सरकारी पक्ष का यह साबित करना जरूरी है कि, मामले में आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत और पर्याप्त गवाह हैं। इसके अलावा घटना की कड़ी जोड़कर यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि, हत्या आरोपी ने ही की है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने यवतमाल सत्र न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसके तहत निचली अदालत ने अविनाश राठौड़ (26) को हत्या का दोषी मान कर उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 

यह है मामला

दरअसल, छाया (परिवर्तित नाम) आरोपी की बहन की ननद थी। छाया पहले से शादीशुदा थी, लेकिन उसके पति को शराब की लत होने के कारण वह मायके में रहती थी। आरोपी छाया से विवाह करना चाहता था, लेकिन छाया की मां को यह स्वीकार नहीं था। इसी बीच अरुण को यह भी शक था कि, छाया अपने भाई के साथ मिलकर उसकी बहन को परेशान करते हैं। घटना 2 मार्च 2011 की है। छाया घर से लकड़ी लाने निकली और लौट कर नहीं आई। तीन दिन बाद उसका शव बरामद हुआ। पुलिस ने जांच की और सबूतों के आधार पर अविनाश को गिरफ्तार कर लिया। 28 फरवरी 2014 को यवतमाल सत्र न्यायालय ने आरोपी को भादंवि की धारा 302 और 309 के तहत दोषी करार देकर उम्रकैद और कुल 53 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई थी। उसे धारा 376 यानी दुष्कर्म के आरोप से बरी किया गया था। आरोपी ने इस फैसले को एड. राजेंद्र डागा के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एड. डागा ने आरोपी के बचाव में दलील दी कि, निचली अदालत में आरोपी को सिर्फ परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर सजा दे दी गई। न तो मामले में घटनाओं की कड़ी जोड़ी गई और न ही गवाह प्रस्तुत किए गए। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने ठोस सबूतों के अभाव में युवक को बरी कर दिया है। 

Created On :   8 Nov 2021 7:26 PM IST

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