नागपुर मनपा : बात नहीं मानने पर राष्ट्रगीत गा विपक्ष का वॉक आउट, RTI से खुलासा - खर्चे कम करने के बाद ही भर्तियां

Nagpur Corporation : opposition walk out after Song National anthem
नागपुर मनपा : बात नहीं मानने पर राष्ट्रगीत गा विपक्ष का वॉक आउट, RTI से खुलासा - खर्चे कम करने के बाद ही भर्तियां
नागपुर मनपा : बात नहीं मानने पर राष्ट्रगीत गा विपक्ष का वॉक आउट, RTI से खुलासा - खर्चे कम करने के बाद ही भर्तियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अस्थाई वाहनचालकों को स्थाई करने की मांग को लेकर मनपा की सर्वसाधारण सभा में प्रश्नोत्तरकाल दौरान हंगामा हुआ। कांग्रेस के नगरसेवक कमल चौधरी ने यह प्रश्न उपस्थित किया। इंडस्ट्रियल कोर्ट में वाहन चालकों के पक्ष में फैसला आने के बाद भी मनपा का प्रतिसाद नहीं मिलने पर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। मनपा इसके विरोध में सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। यह विषय मनपा की सर्वसाधारण सभा में पटल पर रखा गया। बहस शुरू होने पर मामला न्यायालय में लंबित रहने से सदन में चर्चा नहीं की जा सकती, यह जवाब दिया गया। जब चर्चा नहीं की जा सकती, फिर पटल पर विषय कैसे रखा गया। इस बात को लेकर विपक्ष के सदस्याें हंगामा शुरू किया। हंगामे के बीच महापौर आगे के विषय पर बढ़ गई। सदन में विपक्ष की सुनवाई नहीं होती देख कमलेश चौधरी अपने हाथ के कागज महापौर की दिशा में उड़ाते हुए बाहर िनकल गए। इस बीच, कांग्रेस के सदस्य हरीश ग्वालबंशी, नितीन साठवने ने सीधे राष्ट्रगीत गाना शुरू किया। संपूर्ण सदन राष्ट्रगीत के सम्मान में खड़ा हो गया। राष्ट्रगीत गाकर भारत माता की जय नारा लागाते हुए कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। विपक्ष के इस कृति पर महापौर ने बहिर्गमन करने वाले सदस्यों को नोटिस थमाने और इसका जवाब नहीं देने पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा सदन के सदस्य दयाशंकर तिवारी ने विपक्ष के सदस्यों पर राष्ट्रगीत का अपमान करने का आरोप लगाया। प्रवीण दटके ने इसका समर्थन किया। उन्होंनें ने सदन का बहिर्गमन करने वालों की सदस्यता रद्द करने की मांग की। विपक्ष ने सदन में राष्ट्रगीत गाना शुरू करने पर पूरा सदन खड़ा हो गया। महापौर खड़े होने वाली थी, लेकिन बगल के एक अधिकारी से उन्हें बैठे रहने का इशारा करने पर वापस बैठे रही। इस पर बसपा की महिला सदस्य ने आपत्ति जताई। प्रवीण दटके ने उनका बचाव करते हुए कहा कि सभागृह में हुआ कामकाज रिकार्ड पर नहीं लेने के लिए महापौर को बेल बजाने की परंपरा है। बेल का कंट्रोल पैर के पास रहने से उसे बैठकर ही बजाना पड़ता है। महापौर खड़ी हुई थी, लेकिन बेल बजाने के लिए वापस आसन पर बैठ गई। इंडस्ट्रियल कोर्ट के फैसले के बाद भी मनपा ने अस्थाई वाहन चालकों को स्थाई करने से मना कर दिया। इसे लेकर वाहन चालकों की न्यायालयीन लड़ाई जारी है। अस्थाई वाहन चालकों के प्रति मनपा के रवैए पर विपक्ष ने कर्मचारी हित विरोधी होने का आरोप लगाया।

मनपा का आस्थापना खर्च 50 फीसदी से ज्यादा 

इसके अलावा RTI से खुलासा हुआ कि महानगर पालिका (मनपा) में मंजूर पदों की संख्या 11961 है और इसमें से केवल 7950 पद ही भरे गए है। 4118 पद पिछले कई सालों से खाली पड़े हुए है। यह खुलासा आरटीआई में हुआ है। मनपा से हर महीने अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त तो हो रहे है, लेकिन इनकी जगह पर नए लोगों की भर्ती नहीं हो पा रही हैै। राज्य सरकार ने मनपा को आस्थापना खर्च 35 फीसदी तक होने के बाद नई पद भर्ती करने को कहा है। मनपा में चतुर्थश्रेणी कर्मचारी से लेकर प्रथमश्रेणी अधिकारी के मिलाकर 11961 पद मंजूर है। मनपा को अलग-अलग मदों से जो राजस्व प्राप्त होता है, उसके मुताबिक आस्थापना खर्च 35 फीसदी तक होना चाहिए, लेकिन मनपा का आस्थापना खर्च 50 फीसदी से ज्यादा हो रहा है। अास्थापना खर्च काबू में नहीं आने से नई पद भर्ती का मामला खटाई में पड़ गया है। मनपा में कर्मचारी से लेकर अधिकारी के कुल 4118 पद खाली हैं। 

वर्ग                      मंजूर पद    खाली 

प्रथमश्रेणी              214         103
मानसेवी डाक्टर      85            37
द्वितीयश्रेणी          61            50
तृतीयश्रेणी             3812        2016
शिक्षक                  1065        0000
चतुर्थश्रेणी             2785        1711
सफाईकर्मी            3939        201

कुल              11961        4118

20 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला 

शिकायतों की जांच करने के बाद मनपा प्रशासन अब तक 20 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुका है। इन पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगे थे। इसीतरह 1 जनवरी 2014 से 30 जून 2019 तक तृतीय व चतुर्थश्रेणी के 178 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। कर्मचारी की मृत्यु होने पर वारीस को अनुकंपा तत्व पर नौकरी मिलती है। 

मनपा ने अपने खर्चे कम करने चाहिए

आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलारकर के मुताबिक शहर का क्षेत्रफल व जनसंख्या बढ़ने से बुनियादी सुविधा व जरूरतें भी बढ़ती जा रही है। इनकी पूर्ति के लिए कर्मचारियों की सख्त जरूरत है। बढ़ती जरूरतें व समस्या को देखते हुए पद भर्ती जरूरी है। मनपा का आस्थापना खर्च 35 फीसदी तक ही होना चाहिए, लेकिन खर्च सीमा में रखना  मनपा प्रशासन का काम है। मनपा ने हर हाल में अपने खर्चे कम करने चाहिए। साथ ही राजस्व बढ़ाने के लिए हर मुमकीन काम करना चाहिए। 

Created On :   22 Aug 2019 4:26 PM GMT

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