अंबाझरी तालाब में मिल रहा प्रदूषित पानी, मर रही मछलियां

Nagpur : Polluted water mixing in Ambazari pond, fishes are dying
अंबाझरी तालाब में मिल रहा प्रदूषित पानी, मर रही मछलियां
अंबाझरी तालाब में मिल रहा प्रदूषित पानी, मर रही मछलियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हिंगना एमआईडीसी में चल रहे कुल 1200 में से लगभग तीन सौ आद्योगिक इकाई रेड या ऑरेंज श्रेणी में आती हैं। प्रदूषण के लिहाज से रेड या ऑरेंज श्रेणी की इकाइयां ज्यादा प्रदूषण करने वाली श्रेणी में आती है, इसके के बावजूद वहां अब तक सीईटीपी(एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) नहीं है। ऑरेंज श्रेणी में आने वाली इकाइयां प्रतिदिन 1.5 मिलियन लीटर इंस्ट्रियल वेस्ट उत्पन्न कर रही हैं।

हाल ही में अंबाझरी झील में मछलियों की मौत के बाद औद्योगिक इकाइयों के कचरे झील में पहुंचने का मुद्दा गर्मा गया है। एमआइसीडी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के सूत्रों के अनुसार, हिंगना स्थित औद्योगिक इकाइयों के लिए कोई सीईटीपी(एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) नहीं है। नागपुर महानगर पालिका और पर्यावरणविदों के अनुसार अंबाझरी झील के छोर पर स्थित होने के कारण वहां का सारा औद्योगिक अपशिष्ट बगैर उपचार के अंबाझरी झील में पहुंच रहा है। 

लंबे समय से लंबित है हिंगना सीईटीपी का निर्माण 
हिंगना में सीईटीपी के निर्माण के लिए लिए वर्षों पूर्व  4.5 एकड़ जमीन का आवंटन किया जा चुका है। तीन वर्ष पूर्व एमआइसीडी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के सदस्य सीएम देवेंद्र फडणवीस से मिलकर निर्माण के लिए 15 करोड़ की मंजूरी भी प्राप्त कर चुके हैं। यहां तक कि पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से भी सीईटीपी के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है। अब परियाेजना की लागत चार करोड़ बढ़ चुकी है और इसे उद्यमियों को वहन करना है। इसके साथ ही एफ्लूएंट को सीईटीपी तक पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाने के लिए अलग से 18 करोड़ की जरूरत है।

18 माह से बुटीबोरी सीईटीपी नहीं ले रहा है कचरा
कुछ समय पूर्व तक हिंगना स्थित औद्योगिक इकाइयां औद्योगिक अपशिष्ट बुटीबोरी स्थित सीईटीपी को भेजते थे। बुटीबोरी सीईटीपी की क्षमता 5 एमएलडी प्रतिदिन है। अब बुटीबोरी स्थित इकाइयों से 5 एमएलडी से अधिक औद्योगिक वेस्ट निकल रहा है और उन्होंने 18 माह पहले ही हिंगना की इकाइयों का वेस्ट स्वीकारना बंद कर दिया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का तर्क, अंबाझरी में मछलियां गर्मी से मर रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नागपुर के अनुसार, हिंगना के दो कुछ औद्योगिक इकाइयों के अलावा सभी से निकलने वाला औद्याेगिक कचरा बुटीबोरी स्थित सीईटीपी में उपचारित किया जा रहा है। अंबाझरी में मछलियों के मरने का कारण बढ़ती गर्मी है।

Created On :   3 May 2019 12:37 PM IST

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