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नारा के काले हिरण नहीं लगे वन विभाग के हाथ, बायोडायवर्सिटी पार्क में छोड़ने की कोशिश हो रही विफल
निज संवाददाता | नागपुर. तीन साल पहले वन विभाग ने नारा परिसर से काले हिरणों को पकड़कर बायोडायवर्सिटी पार्क परिसर में छोड़ने का कहा था, लेकिन अभी तक यह प्लान सफल नहीं हो पाया है। सूत्रों की मानें तो हर बार की कोशिशें विफल ही रही है, क्योंकि इन हिरणों को पकड़ने में बहुत ज्यादा रिस्क है। घबराहट में उनकी जान भी जा सकती है। यही कारण है कि तीन साल बीतने के बाद भी नारा के काले हिरणों को शिफ्ट करने में वन विभाग सफल नहीं हो पाया है।
शिफ्ट करना ही उचित होगा
शहर का तेजी से हो रहा विकास जंगल को कम कर रहा है। हाल ही में आए सर्वेक्षण रिपोर्ट में भी यह साबित हुआ है। वर्तमान में नागपुर शहर का दायरा लगातार बढ़ रहा है और क्रांक्रीटी इमारतों का निर्माण हो रहा है। इससे कई जगहों पर रिहायशी क्षेत्र के आस-पास वन्यजीवों को देखा जा रहा है। इसी तरह शहर का नारा परिसर भी है। लोग बताते हैं कि यहां कभी घना जंगल होता था। धीरे-धीरे प्लॉट बिक्री के साथ यहां बस्ती बन गई है। ऐसे में वन का कुछ हिस्सा बचा है, जहां काले हिरणों का झुंड बच गया है। वर्षों से यह यहां रहते हैं। ग्रीष्म में पानी की तलाश में कई बार इंसानी इलाकों तक आ जाते हैं। हालांकि अवैध शिकार से लेकर विभिन्न कारणों से तेजी से इनकी संख्या कम होती जा रही है। ऐसे में वन विभाग चाहता है कि इन्हें यहां से शिफ्ट करना ही उचित होगा, ताकि नस्लें सुरक्षित रहें।
‘गोमा कैप्चर’ प्रक्रिया बेहतर विकल्प
जानकारों के अनुसार, हिरण काफी जल्दी घबरा जाते हैं। कई बार तो पकड़ने के दौरान ही सदमे से इनकी मौत भी हो जाती है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में हिरणों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए ‘गोमा कैप्चर’ प्रक्रिया ही कारगर दिख रही है। इस प्रक्रिया के तहत इन्हें एक कंटेनर में खदेड़ा जाता है। कंटेनर को हरियाली से ढंकने से हिरण आसानी से उसके भीतर आ जाते हैं। इस संबंध में जानकारी के लिए वन विभाग के डीएफओ (प्रादेशिक) भारत सिंह हाडा से संपर्क करने पर कोई प्रतिसाद नहीं मिला।
Created On :   31 Oct 2021 3:26 PM IST