कोरोना के चलते इस वर्ष नहीं होगा नर्मदा महोत्सव, भेड़ाघाट में प्रतीकात्मक आयोजन के रूप में आज होगा माँ नर्मदा का पूजन

Narmada festival will not be held this year due to Corona, Mother Narmada will be worshiped in Bhedaghat
कोरोना के चलते इस वर्ष नहीं होगा नर्मदा महोत्सव, भेड़ाघाट में प्रतीकात्मक आयोजन के रूप में आज होगा माँ नर्मदा का पूजन
कोरोना के चलते इस वर्ष नहीं होगा नर्मदा महोत्सव, भेड़ाघाट में प्रतीकात्मक आयोजन के रूप में आज होगा माँ नर्मदा का पूजन

डिजिटल डेस्क जबलपुर । अश्विन मास की शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इसे लक्ष्मीजी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है। इस बार शुक्रवार को शरद पूर्णिमा का योग बन रहा है। पं. रोहित दुबे का कहना है कि 7 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है। अब 13 साल बाद यानी 7 अक्टूबर 2033 को यह संयोग बनेगा। शुक्रवार को पूर्णिमा के होने से इसका शुभ फल और बढ़ जाएगा। साथ ही इस बार शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय सर्वार्थ सिद्धि और लक्ष्मी योग में हो रहा है, जिससे इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व रहेगा।  
औषधीय महत्व 
  पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से अमृत बरसाता है। इस रात में औषधियाँ चंद्रमा की रोशनी के जरिए तेजी से खुद में अमृत सोखतीं हैं। इसलिए इस दिन चंद्रमा के प्रभाव वाली चीज यानी दूध से खीर बनाई जाती है और चाँदी के बर्तन में चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। ऐसा करने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। माना जाता है कि उस खीर को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे कई तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।
 

Created On :   29 Oct 2020 8:43 AM GMT

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