- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- नवाब मलिक का बयान- राकांपा...
नवाब मलिक का बयान- राकांपा कार्यकर्ता था हसीना का बॉडीगार्ड सलीम पटेल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अंतर्राष्ट्रीय आतंकी दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर का बॉडीगार्ड सलीम पटेल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता था। मनी लांड्रिंग के मामले में जेल में बंद राज्य सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए बयान में यह बात कही है। मलिक ने जांच एजेंसी को बताया कि वे साल 2002 से पटेल को जानते थे क्योंकि वह राकांपा का कार्यकर्ता था और तत्कालीन मुंबई राकांपा अध्यक्ष चंद्रकांत त्रिपाठी की अगुआई में काम करता था।
मलिक के भाई ने गोवावाला कंपाउंड के मालिक से की बात
मलिक के खिलाफ दायर आरोपपत्र में ईडी ने दावा किया है कि उन्होंने दाऊद गिरोह के साथ मिलकर कुर्ला इलाके में स्थित गोवावाला कंपाउंड को हड़पने की साजिश रची। अदालत ने भी पहली नजर में आरोपों को सही पाया है। जांच एजेंसी को मलिक द्वारा दी गई सफाई भी आरोपपत्र का हिस्सा है। मलिक ने ईडी को बताया कि उनके भाई असलम मलिक ने गोवावाला कंपाउंड के मालिक से बात की थी। उन्होंने असलम से कहा कि वे सलीम पटेल से बात करें। मलिक ने बताया कि असलम ही गोवावाला कंपाउंड से जुड़े कामकाज देखता था। एक बोहरी परिवार के पास कंपाउंड का मालिकाना हक था। इसी परिवार से सोलिडस इंवेस्टमेंट प्रायवेट लिमिटेड कंपनी का अधिकार उनके परिवार ने लिया था। उस समय वे नेहरू नगर क्षेत्र के विधायक थे इसलिए गोवावाला कंपाउंड के लोग जलापूर्ति और दूसरी परेशानियां लेकर उनके पास हल के लिए आया करते थे। गोवावाला कंपाउंड की खुली जगह पर अवैध निर्माण भी था जिस पर असलम ने अंकुश लगाया था। मलिक के मुताबिक अवैध निर्माण में सरदार खान का हाथ था जो लोगों से किराया भी वसूलता था।
मलिक ने ईडी को बताया कि अवैध निर्माण बंद करने के बाद हसीना के ड्राइवर सलीम पटेल ने उनके भाई असलम से संपर्क किया और उनके सामने संपत्ति खरीदने का प्रस्ताव रखा। असलम ने मुझे इसकी जानकारी दी तो मैंने संपत्ति के मालिक के बारे में सही जानकारी हासिल करने को कहा। असलम ने जमीन का मालिकाना अधिकार रखने वाली महिला से मुलाकात की तो महिला ने इस बात की पुष्टि की कि संपत्ति की पॉवर ऑफ अटार्नी पटेल के पास ही है। इसके बाद पटेल से बातचीत की गई और संपत्ति सोलिडस इंवेस्टमेंट के नाम पर खरीदी गई। मलिक ने यह भी दावा किया कि 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी सरदार खान के उनका या उनके परिवार का कोई लेना देना नहीं है। मलिक के मुताबिक सरदार खान ने गोवावाला की थोड़ी सी जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा ली थी और फिर विवाद शुरू कर दिया। बाद में उसे पैसे देकर जमीन खरीदनी पड़ी। इससे पहले उसका भाई मेरे भाई के पास किराया वसूलने आता था। मलिक ने यह भी कहा कि वे दाऊद की बहन हसीना पारकर के साथ कभी संपर्क में नहीं आए। पटेल के राकांपा में होने के चलते उनकी पहचान हुई। मलिक ने कहा कि वे गोवावाला कंपाउंड की मालिक मुनीरा प्लंबर या उनकी मां मरियम गोवावाला से भी कभी नहीं मिले लेकिन वे जानते थे कि यही दोनों गोवावाला कंपाउंड की मालिक हैं। साल 2005 में बनी सेल डीड में मुनीरा, उनकी मां, सरदार खान और मलिक के बेटे फराज के हस्ताक्षर थे।
कई समन के बावजूद नहीं हाजिर हुए मलिक के बेटे, पत्नी
ईडी ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि मामले में पूछताछ के लिए मलिक के दोनों बेटों और पत्नी को कई बार समन भेजकर बुलाया गया लेकिन वे एजेंसी के सवालों के जवाब देने नहीं पहुंचे। ईडी के मुताबिक मामले में फराज को पांच बार जबकि मलिक की पत्नी मेहजबीन को दो बार समन भेजा गया था।
रिश्तेदारों को 10 लाख भेजता था दाऊद
खालिद उस्मान शेख नाम के एक गवाह ने ईडी को बताया है कि दाऊद इब्राहिम अपने मुंबई में रहने वाले रिश्तेदारों को 10 लाख रुपए महीना भेजता था। शेख कासकर का बचपन के दोस्त का भाई है। शेख ने ईडी को बताया कि उसे इकबाल कासकर ने इस बात की जानकारी दी कि दाऊद उसे हर महीने 10 लाख रुपए भेजता है। यही नहीं शेख के मुताबिक कासकर ने उसे दाऊद द्वारा भेजे गए पैसे भी दिखाए। साथ ही शेख ने बताया कि उसे पारकर के बॉडीगार्ड सलीम पटेल ने बताया था कि हसीना अपने भाई दाऊद के नाम पर संपत्तियां हड़पती है। लोगों को डराकर विवाद हल करवाती है। गोवावाला कंपाउंड भी इसी तरह हड़पकर मलिक को बेंचा गया था।
Created On :   25 May 2022 8:46 PM IST