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नक्सलियों की नई चाल: नाबालिग बच्चों को गिरोह में कर रहे शामिल
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। दिनों-दिन कमजोर होते जा रहे नक्सली संगठनों ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नया रास्ता निकाला है। नक्सली संगठन अब नाबालिग बच्चों को निशाना बना रहे हैं। नक्सली अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए बच्चों का सहारा ले रहे हैं।
हाल ही में जिले की एटापल्ली तहसील के गट्टा जंगल क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के दौरान 2 नाबालिग बच्चों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें बाल न्यायालय में पेश करने पर न्यायालय ने 13 अक्टूबर तक गड़चिरोली के बाल सुधारगृह में रखने के आदेश दिए हैं। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने सुरक्षा परिषद में भेजी अपनी 2016 की वार्षिक रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि छत्तीसगढ़ व झारखंड राज्य में नक्सली बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में हुई गट्टा की घटना में दो नाबालिग बच्चे पाए जाने से महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले में भी नक्सलियों ने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए उनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि गड़चिरोली जैसे नक्सलग्रस्त जिले में पुलिस अधिकारी नक्सलियों पर हावी होते दिखाई दे रहे हैं। वहीं राज्य सरकार की क्रियान्वित आत्मसमर्पण योजना नक्सल आंदोलन से जुड़े सदस्यों को मुख्य धारा में लाने के लिए वरदान साबित हो रही है। जिसके चलते पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों नक्सल सदस्य जिला पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। अनेक नक्सली आत्मसमर्पण करने की फिराक में हैं। इससे नक्सल आंदोलन में सदस्य संख्या कम हो रही है। ऐसे में नक्सली अपना आंदोलन जारी रखने के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बच्चों को पैसे और अन्य आकर्षक सामग्री देकर उन्हें अपने आंदोलन से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इससे बच्चों का ही शारीरिक और मानसिक नुकसान हो रहा है। उधर, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने अपनी रिपोर्ट में नक्सल आंदोलन से जुड़े बच्चों के मारे जाने और घायल होने की बात कही है,लेकिन उन्होंने आंकड़े नहीं दिए हैं।
इधर, गड़चिरोली जिले में हुई नक्सली मुठभेड़ में बच्चों का इस्तेमाल करने की बात स्पष्ट होने से जिले में दहशत व्याप्त हो रही है। गट्टा जंगल क्षेत्र में मुठभेड़ हुई थी। इस घटना के बाद हेडरी के उपविभागीय पुलिस अधिकारी शशिकांत भोसले के मार्गदर्शन में पुलिस जवानों ने इस मामले में दो बच्चों को 1 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। तथा उन्हें 3 अक्टूबर को गड़चिरोली के बाल न्यायालय में पेश किया गया। जहां न्यायालय ने उन्हें 13 अक्टूबर तक गड़चिरोली के बालसुधार गृह में रखने के आदेश दिए हैं। गलत विचारधारा का विरोध जरूरी नक्सली अपनी गलत विचारधारा में आदिवासियों के अल्पवयीन बच्चों को शामिल कर रहे हैं, जो उनके भविष्य का नुकसान कर रहा है। इसके खिलाफ स्थानीय आदिवासी संगठनों को आवाज उठाई चाहिए। पुलिस विभाग हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है। ऐसा तभी हो पाएगा, जब आदिवासी समाज जागरूक होकर गलत विचारधारा का विरोध करे।
सामाजिक संगठन मौन
एक ओर किसी घटना में पुलिस आदिवासी लोगों को पूछताछ के लिए अपने साथ लेकर गई थी, पर वहां उनके साथ अत्याचार करने का आरोप सामाजिक संगठनों ने पुलिस पर लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी। नक्सली बच्चों को अपने आंदोलन में शामिल करके उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस पर खुद को आदिवासियों का हमदर्द बताने वाले सामाजिक संगठन मौन धारण किए हुए हैं।
Created On :   11 Oct 2017 2:13 PM IST