लापरवाही बनी मौत का कारण : पिछले साल ऑन ड्यूटी गई 16 जवानों की जान

Negligence reason of death: 16 soldiers died on duty last year
लापरवाही बनी मौत का कारण : पिछले साल ऑन ड्यूटी गई 16 जवानों की जान
लापरवाही बनी मौत का कारण : पिछले साल ऑन ड्यूटी गई 16 जवानों की जान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी में किसी भी पुलिस जवान या उसके परिजनों का फोन आने पर नागपुर पुलिस अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी उसकी मदद करने पहुंच जाते हैं। इसी तत्परता के चलते पिछले दिनों यातायात पुलिस विभाग इंदोरा में कार्यरत एक पुलिस जवान को हार्ट अटैक आने पर उसकी जान बचाई जा सकी। उसे तत्काल मेडिकल सुविधा मिलने से उसकी जान बच गई। लेकिन चिंता का विषय यह है कि एक और जहां 8500 जवानांे के लिए मात्र 3 डॉक्टर कार्यरत हैं अब वहीं सूत्रों के अनुसार इस वर्ष नागपुर के पुलिस लाइन टाकली में 3500 पुलिस जवानों का ई-मेडिकल कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य रखा है। 2019 में 1960 पुलिस जवानों के ई-मेडिकल कार्ड बनकर तैयार हो चुके हैं। 

नववर्ष में 300 जवानों की नई फाइल तैयार

जनवरी 2020 के दो सप्ताह में 300 पुलिस जवानों की नई ई-मेडिकल फाइल बनाई जा चुकी है। इनमें से कुछ जवानों को ए, कुछ को बी और कुछ को सी, ई-मेडिकल फाइल दी गई है। नागपुर के पुलिस अस्पताल में साढ़े 8 हजार पुलिस जवानों के लिए 3 डॉक्टर हैं, जबकि गड़चिरोली में बने पुलिस अस्पताल में 7 डॉक्टर कार्यरत हैं। इस हिसाब से गड़चिरोली के पुलिस अस्पताल में नागपुर के पुलिस अस्पताल के डॉक्टरों की संख्या को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यहां पर डॉक्टरों की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा है। इस अस्पताल में सीबीआई, आईबी, इंटरपोल पुलिस, सीअारपीएफ और एसआरपीएफ, ग्रामीण पुलिस के जवान भी अपने स्वास्थ्य की जांच कराने आते  हैं। अस्पताल के प्रमुख डॉ. संदीप शिंदे का कहना है िक जरूरत पड़ने पर वह आईएमए के डॉक्टरों का सहयोग लेते हैं।

क्राइम ब्रांच के 15 फीसदी जवान बीमार 

सूत्रों के अनुसार नागपुर पुलिस अस्पताल में अपराध शाखा पुलिस विभाग (क्राइम ब्रांच) के 200 पुलिस जवानों के स्वास्थ्य की जांच करने पर उनमें करीब 15 फीसदी जवान बीमार मिले, जिनमें किसी को शुगर, किसी को बीपी  तो किसी को यह दोनों ही बीमारी अपनी चपेट में ले चुकी है। पुलिस अस्पताल के प्रमुख डाॅ. संदीप  शिंदे ने बताया िक कुछ जवानों को यह पहली बार ही पता चला कि उन्हें इस तरह की बीमारी है। डॉक्टर शिंदे का कहना है िक बीमारी किसी भी उम्र में हाे सकती है। समय पर स्वास्थ्य की जांच ही उसका बेहतर तरीका है। डॉक्टर शिंदे ने बताया िक पुलिस अस्पताल से तीन तरह के कार्ड दिए जाते हैं। पूरी तरह से स्वस्थ पुलिस जवानों को जांच के बाद "ए' कार्ड दिया जाता है। बीपी से ग्रसित पुलिस जवानों को "येलो कार्ड' और बीपी व शुगर से पीडित पुलिस जवानों को "पिंक कार्ड' दिया जाता है। डाॅ. शिंदे का कहना है कि हार्ट का रंग पिंक जैसा दिखाई देता है, इसलिए ऐसे मरीजों को यह कार्ड दिया जाता है।

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2019 में 16 जवानों की ऑन ड्यूटी मौत हो गई, इसमें जनवरी 2020 (दो सप्ताह में) में दो पुलिस जवान भी शामिल हैं। इन जवानों में किसी को हार्टअटैक, किसी को बीपी तो किसी को शुगर व अन्य कई तरह की बीमारियां थीं, जिन पुलिस जवानों की हार्टअटैक से जान गई, उसमें सहायक पुलिस निरीक्षक अनिल बबन बेनके (पुलिस नियंत्रण कक्ष में तैनात थे), एएसआई श्यामबिहारी हंसलाल चंद्रवंशी , शेख मदार हुसैन कुरैशी, हवलदार भीमराव वासुजी खोब्रागडे, हवलदार सैयद नसीम सैयद अलीम  (यह सभी पुलिस मुख्यालय में तैनात थे), हवलदार रमेश कृष्णराव भोरकर (अंबाझरी थाना), पांडूरंग मारोतराव जयपुरकर (गणेशपेठ थाना) और हवलदार शालिकराम सावजी उइके (कोराड़ी थाना) आदि शामिल हैं। इनमें से कुछ पुलिस जवान तो ऐसे हैं जो घर में अकेले कमाने वाले थे। उनकी मौत ने परिवार को बेसहारा कर दिया है।
 

Created On :   20 Jan 2020 6:07 PM IST

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