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वाइल्ड लाइफ का बना नया कॉरिडोर, वन्य जीवों का बढ़ा मूवमेंट
लौट रहा नर्मदा वैली का गौरव : डुमना से सीधे जुड़ीं मदनमहल की पहाडिय़ाँ, डेवलप हुआ खूबसूरत जंगल, सोमवार को भी दिखा चीतलों का झुंड
डिजिटल डेस्क जबलपुर । रविवार की शाम ग्वारीघाट के खारीघाट के पास एक चीतल पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया था, जिसके कारण चीतल ने जान बचाने के लिए नर्मदा नदी में छलाँग लगा दी थी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि बीते एक महीने में इस तरह की ये पाँचवीं घटना है। इससे पहले गीताधाम के पास चीतलों का झुंड पहुँच गया था, इसी तरह भटौली कुंड के पास एक सप्ताह पूर्व जंगली सुअर देखे गए । विशेषज्ञों का माने तो ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि नर्मदा वैली (भटौली से तिलवारा) पर वन्य प्राणियों का एक नया कॉरिडोर बन चुका है। इस कॉरीडोर पर चीतल के साथ तेंदुए और अन्य तरह के सभी वन्य प्राणी लगातार मूवमेंट कर रहे हैं। दरअसल, हाईकोर्ट के आदेश पर शहर की पहाडिय़ों से अतिक्रमण हटने के बाद पिछले दो सालों में बड़ा जंगली एरिया विकसित हुआ है। इसका फायदा पर्यावरण के साथ वन्य प्राणियों को भी मिला। जानकारों का मानना है िक विगत दो सालों के भीतर डुमना से मदनमहल की पहाडिय़ाँ सीधे जुड़ गई हैं, और यही वजह है कि नर्मदा वैली पर वन्य प्राणियों के लिए एक प्राकृतिक माहौल का नया कॉरिडोर बन गया। जानकारों का यह भी कहना है कि जल्द से जल्द इस नए कॉरिडोर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम और बेहतर रखरखाव करना चाहिए ताकि वन्य प्राणियों का मूवमेंट यहाँ बना रहे।
नए कॉरिडोर में सब कुछ
वन्य प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि इस नए कॉरिडोर में वन्य प्राणियों के रहन-सहन, खाने के साथ पानी और रहने के लिए घनी झाडिय़ाँ मौजूद हैं, इसलिए वन्य प्राणियों का यहाँ लगातार मूवमेंट हो रहा है। खासकर नर्मदा नदी से लगा क्षेत्र इनके लिए हर तरह से उपयुक्त है। तिलहरी के पास देखे गए चीतल
सोमवार की सुबह करीब
बजे तिलहरी मेन रोड पर लोगों को करीब आधा दर्जन चीतल एक साथ घूमते नजर आए। इसी दौरान जब यहाँ से निकल रहे कुछ लोगों ने उनकी तस्वीरें लेने का प्रयास किया लेकिन शोर-शराबा होने पर चीतल झाडिय़ों के अंदर चले गए।
ऐसे बेहतर बनेगा कॉरिडोर
* इस नए कॉरिडोर में मदनमहल की पहाडिय़ों की तरह फेंसिंग करनी चाहिए, ताकि वन्य प्राणियों का मूवमेंट आबादी की तरफ न हो।
* नर्मदा तट से लगे नए कॉरिडोर में अभी बड़े पेड़ों की कमी है, इसलिए प्लांटेशन के जरिए यहाँ पेड़-पौधों की घनावट लानी चाहिए।
* नए कॉरिडोर के िहस्से में वन िवभाग के लिए संरक्षित करना चाहिए ताकि यहाँ लोगों के साथ पालतू पशु नहीं पहुँच सकें।
तेंदुओं के कारण मिली पहचान
करीब दो साल पहले नवम्बर 2019 में ठाकुरताल की पहाडिय़ों और नयागांव सोसायटी में तेंदुओं के मूवमेंट होने के बाद इस नए कॉरिडोर को पहचान मिली। कई दिनों तक इस बात का असमंजस था कि तेंदुओं ने ठाकुरताल की पहाड़ी पर नया बसेरा कहाँ और किस रास्ते से बनाया। लेकिन जून 2020 में भटौली के पास आर्मी एरिया की फेंसिंग में फँसकर तेंदुए की मौत के बाद इस नए कॉरिडोर की पहचान सार्वजनिक हुई थी।
Created On :   8 Jun 2021 3:36 PM IST