नई पीढ़ी को प्रेम पर लिखे साहित्य में रुची नहीं, भाषाई लेखक विज्ञान और वित्त पर लिखे किताबें -उषा तांबे

New generation is not interested in literature written on love
नई पीढ़ी को प्रेम पर लिखे साहित्य में रुची नहीं, भाषाई लेखक विज्ञान और वित्त पर लिखे किताबें -उषा तांबे
सलाह नई पीढ़ी को प्रेम पर लिखे साहित्य में रुची नहीं, भाषाई लेखक विज्ञान और वित्त पर लिखे किताबें -उषा तांबे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रेम जैसे विषयों पर लिखे साहित्य और किस्से कहानियां पढ़ने में नई पीढ़ी को ज्यादा रुचि नहीं है। इसलिए मराठी और भाषाई लेखकों को भी विज्ञान और वित्त से जुड़े विषयों पर किताबें लिखने पर जोर देना चाहिए। अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल की अध्यक्ष उषा तांबे ने यह बात कही। तांबे ने शुक्रवार को मुंबई मराठी पत्रकार संघ में आयोजित चर्चा के दौरान 3 से 5 फरवरी को वर्धा में आयोजित होने जा रहे 96वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन को लेकर जानकारी दी। साथ ही उन्होंने मराठी साहित्यकारों के सामने मौजूद चुनौतियों को लेकर भी अपने विचार रखे। तांबे ने कहा कि मैंने देखा है कि नई पीढ़ी विज्ञान और वित्त को लेकर लिखी गई अच्छी किताबें पढ़ना चाहती है। इसलिए लेखकों को भी इन विषयों पर ज्यादा शोध के साथ किताबें लिखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी पीढ़ी के पास किताबों का विकल्प नहीं था लेकिन अब की पीढ़ी के पास कंप्यूटर, मोबाइल जैसे साधन हैं इसलिए उनके पास ज्ञानार्जन के लिए दूसरे विकल्प भी हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के मुकाबले मराठी किताबों की मांग बेहद कम हैं। अंग्रेजी साहित्य में हम अक्सर देखते हैं कि 10 लाख किताबें बिकने की जानकारी आती है। किताबें बेस्ट सेलर होती हैं लेकिन मराठी भाषा में ज्यादातर किताबों की पहली प्रतियां एक से डेढ़ हजार ही छपतीं हैं। इसलिए लेखकों को भी मानधन कम मिलता हूं। मराठी भाषियों को भी ज्यादा किताबें पढ़नी चाहिए।साथ ही उन्होंने कहा कि अब लोगों को किताबें मिलनी भी मुश्किल हो गईं हैं। ऐसी जगह कम हैं जहां लोग जाकर नई- नई किताबें खरीद सकते हैं।

फिल्म निर्माताओं की ही तरह लेखकों को भी अनुदान के मुद्दे पर तांबे ने कहा कि यह अच्छी सलाह है और इस मांग को वे सरकार के सामने रखेंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि मराठी साहित्य सम्मेलन के लिए इस बार सरकार ने अनुदान बढ़ाकर दो करोड़ रुपए कर दिए हैं। इसमें से 50 लाख रुपए दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि विदर्भ साहित्य संघ ने 14 जनवरी 2023 को 100 साल पूरे किए हैं। इसी के चलते अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। वरिष्ठ विचारक नरेंद्र चपलगांवकर की अध्यक्षता में यह सम्मेलन होगा। हमारी अपील है कि बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी इस सम्मेलन में पहुंचे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा परिचर्चा होगी जिसमें एक बड़ा मुद्दा किसानों का भी होगा। 

 

Created On :   27 Jan 2023 8:31 PM IST

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