नई मुसीबत : संक्रमण से ठीक होने पर भी बच्चे हो रहे हैं बीमार, जल्द आ रहा है टीका

New problem: Even after recovering from infection, children are getting sick, vaccine is coming soon
नई मुसीबत : संक्रमण से ठीक होने पर भी बच्चे हो रहे हैं बीमार, जल्द आ रहा है टीका
नई मुसीबत : संक्रमण से ठीक होने पर भी बच्चे हो रहे हैं बीमार, जल्द आ रहा है टीका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में दूसरी लहर में लाखों की संख्या में मरीज सामने आए थे। इसमें कई बच्चे भी संक्रमित हुए हैं। जिले में जनवरी से अप्रैल तक चार माह में 45 हजार से अधिक बच्चे संक्रमित हुए हैं। इसके बाद अब बच्चों में एमआईएससी यानी मल्टी सिस्टम इंफ्रामेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रन बीमारी हो रही रही। सही समय पर ध्यान नहीं देने से यह बीमारी बड़ी परेशानी हो सकती है। जिले में कोरोना के बाद म्यूकर माइकोसिस बड़ी परेशानी आ गई है। दूसरी लहर में बच्चे भी संक्रमित हुए थे। तीसरी लहर में अब बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही हैं, लेकिन दूसरी लहर में ही संक्रमित हुए बच्चों को अब कई तरह की परेशानियां आ रही है। इसे मल्टी सिस्टम इंफ्रामेट्री सिंड्रोम कहते हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश गावंडे ने बताया कि इस बीमारी के अब तक 5 मरीज सामने आए हैं। इसमें 6 से 10 साल तक के बच्चे शामिल हैं। कोरोना होने पर ज्यादातर बच्चों में लक्षण नहीं आते हैं। बीमारी के बाद उनके शरीर में एंटीबाडी बहुत ज्यादा बन जाती है। इस वजह से उनके शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होने लगते हैं। इसी कारण बच्चों को दौरे पड़ने, हार्ट व किडनी से संबंधित समस्याएं आने लगती हैं। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों का सही समय पर इलाज न होने पर उनके दिल की नाड़ियां ढीली हो जाती हैं, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है। यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके लिए कोरोना होने के बाद बच्चों पर निगरानी रखना जरूरी है। तबीयत खराब होने पर तुरंत इलाज करवाएं।

यह हैं लक्षण

इसके लक्षण में, तीन दिनों से अधिक समय तक तेज बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, गर्दन में दर्द, चकत्ते होना, आंख, जीभ और होंठ लाल होना, हाथों और पैरों की त्वचा में सूजन और छिल जाना, थकान महसूस होना, सांस लेने मे तकलीफ और तेज दिल की धड़कन जैसे लक्षण शामिल हैं। यह लक्षण दिखते ही तुरंत अस्पताल लेकर जाएं। इस बीमारी के कई मरीज निजी अस्पतालों में भी जा रहे हैं।

कलमेश्वर तहसील के ससुंदरी गांव के चार साल के हृदय काले को 1 जून को भर्ती किया गया। उसे बुखार, उल्टी, खांसी, छींक, आंखें लाल होना, होंठ और जीभ लाल होने के लक्षण थे। 
वाशिम जिले के 9 साल के सात्विक इंगोले को 9 जून को भर्ती किया गया। उसे 4 दिन से ठंड लग कर बुखार आ रहा था। सात्विक को बुखार, उल्टी और छींक के लक्षण थे। 

दिल पर होता है असर

 डॉ. अविनाश गावंडे, बाल रोग विशेषज्ञ ने बाताया कि इस तरह के 5 मरीज सामने आए हैं। यह 6-10 साल तक के हैं। इन बच्चों को 1 माह तक ऑब्जर्वेशन में रखना जरूरी है। बीमारी के कारण दिल पर असर होता है। इसके लिए इसका इलाज जरूरी है। देरी करने पर स्थिति बिगड़ सकती है। 

हम बच्चों के टीके के नजदीक पहुंच रहे हैं

वहीं कोरोना की तीसरी लहर के संभावित खतरे से बच्चों को बचाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। शहर में 12 से 18 साल के 40 वॉलेंटियर्स को क्लीनिकल ट्रायल अंतर्गत कोवैक्सीन का पहला डोज दिया गया है। 28 दिन बाद उन्हें दूसरा डोज दिया जाएगा। क्लीनिकल ट्रायल की अवधि 204 दिन है। इसके बाद अध्ययन होगा और फिर नतीजे के आधार पर बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत होगी। क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण हो चुका है। परिणाम संतोषजनक रहे हैं।  6 जून को शहर में 12 से 18 साल आयुवर्ग के 40 वाॅलेंटियर्स को कोवैक्सीन का पहला डोज दिया गया था। यह ट्रायल शहर के मेडिट्रिना मेडिट्रिना इंन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में किया गया था। 51 वॉलेंटियर्स की स्क्रीनिंग की गई थी। 11 में एंटीबॉडी पाए जाने के कारण वैक्सीन नहीं लगाई गई। अन्य 40 वॉलेंटियर्स को कोवैक्सीन का पहला डोज दिया गया है। इनके स्वास्थ्य की नियमित जानकारी ली जा रही है। हफ्ते भर में उनके स्वास्थ्य पर किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ है। अब तक के परिणाम समाधानकारक है। क्लीनिकल ट्रायल के लिए वॉलेंटियर्स को तीन ग्रुप में रखा गया है। पहला ग्रुप 2 से 6, दूसरा ग्रुप 6 से 12 और तीसरा ग्रुप 12 से 18 आयु वर्ग का है। कंपनी द्वारा पत्र मिलते ही दूसरा चरण पूरा किया जाएगा। यह चरण अगले हफ्ते शुरू हो सकता है। मालूम हो कि देश के चार अस्पतालों में 525 वॉलेंटियर्स पर क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है। नागपुर में 150 से अधिक वॉलेंटियर्स ने तैयारी दिखाई। 

अध्ययन के बाद ही वैक्सीन

डॉ. अविनाश गावंडे, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि जिन वॉलेंटियर्स को वैक्सीन का पहला डोज दिया गया है, उनमें कोई साइड इफेक्ट नहीं है, यह समाधानकारक है। एंटीबॉडी तैयार होने में समय लगता है। ट्रायल की अवधि 204 दिन है। इसके अध्ययन के बाद ही दूसरे चरण का ट्रायल किया जाएगा।  
 

Created On :   13 Jun 2021 12:04 PM GMT

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