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एनएचआरसी मुंबई के झुग्गियों में रहने वालों की स्थिति को लेकर चिंतित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोविड महामारी की सबसे बड़ी मार हाशिए पर मौजूद गरीब तबके को ज्यादा सहनी पड़ी। कोरोना की पहली-दूसरी लहर के बाद अब जब देश तीसरी लहर का सामना कर रहा है, तब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुंबई में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की रहने की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। आयोग ने मामले में महाराष्ट्र सरकार और केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। इससे पहले पिछले साल जून में एक अधिवक्ता राधाकांत ने एनएचआरसी में एक याचिका दायर कर कहा था कि सड़क पर लाखों बच्चों सहित लाखों बेघर लोग लंबे समय से वायरस और उसके बाद के लॉकडाउन उपायों के कारण बेहद पीड़ित है। इस याचिका पर विचार करते हुए एनएचआरसी ने कोविड-19 महामारी के दौरान बेघर लोग और बच्चे, लाखों लोगों की दुर्दशा पर गृह, स्वास्थ्य और आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन सहित विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों से जवाब मांगा था।
केन्द्र ने अपनी ओर से बीते 3 दिसंबर 2021 को दिए जवाब में भूमि और उपनिवेश को राज्य के विषय बताते हुए कहा कि पीएमएवाई-यू के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में आर्थिक रुप से कमजोर व र्गों की आवास जरुरतों को पूरा करने के लिए राज्य के प्रयासों को बढा रहा है। साथ ही बताया कि महाराष्ट्र में 2.24 लाख घरों में से 2 लाख अकेले मुंबई के लिए स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से 58,225 को बंद कर दिया गया है। महाराष्ट्र ने भी अपने सचिव के माध्यम से जवाब दिया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), पीएमएवाई (यू) के तहत राज्य और केंद्रीय सहायता के साथ आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को आवास इकाइयां प्रदान करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं और योजनाएं तैयार की गई है।
आयोग ने शुक्रवार को अपने एक बयान में में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की रहने की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारों ने जवाब में धन की कमी को एक बाधा के रुप में पेश किया गया है। आयोग ने इसे चिंतनीय बताते हुए मामले में दोनों सरकारों से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
Created On :   8 Jan 2022 4:28 PM IST