एनआईए ने खारिज किया अमेरिकी कंपनी का दावा, प्रोफेसर सेन की याचिका का विरोध

NIA rejects US companys claim, opposes Professor Sens plea
एनआईए ने खारिज किया अमेरिकी कंपनी का दावा, प्रोफेसर सेन की याचिका का विरोध
एनआईए ने खारिज किया अमेरिकी कंपनी का दावा, प्रोफेसर सेन की याचिका का विरोध

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी अभिकरण (एनआईए) ने गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट से कहा कि उसने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ के अमेरिकी फॉरेंसिक कंपनी के दावों को स्वीकार नहीं किया है। एनआईए ने कहा कि दरअसल यह मुकदमे को लटकाए रखने का हथकंडा है। जांच एजेंसी ने मामले में आरोपी एवं नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोमा सेन की याचिका का विरोध करते हुए यह दलील दी। 

सेन ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों को रद्द करने का अदालत से अनुरोध किया है। एनआईए की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत से कहा कि जांच एजेंसी सेन द्वारा मांगी गई राहत का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि एनआईए ने याचिका का विरोध करते हुए एक हलफनामा भी दाखिल किया है। हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि सेन की याचिका स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है और यह मामले में सुनवाई में देरी का हथकंडा है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि सेन एक अलग रिट याचिका दायर कर आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता के नियमों के अनुरूप मामले से मुक्त किये जाने का अनुरोध कर सकती हैं।

अमेरिकी कंपनी ने किया था सबूतों से छेड़छाड़ का दावा 

एनआईए ने अमेरिकी फॉरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की रिपोर्टों पर सेन की निर्भरता का भी विरोध किया है। कंपनी ने इस साल की शुरूआत में कहा था कि एल्गार मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ की गई थी और ये सबूत इस मामले के कई आरेापियों के उपकरणों में गढ़े गये थे। जांच एजेंसी ने हलफनामे में कहा कि कंपनी का इस मामले में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं बनता है और एनआईए उस रिपोर्ट को अस्वीकार कर चुकी है और इसे साक्ष्य के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। हलफनामे में कहा गया है कि मैं आर्सेनल रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करता हूं। रिपोर्ट में दी गई दलील स्वीकार्य नहीं है क्योंकि उनमें तथ्य विवादास्पद हैं और इसलिए इसपर मौजूदा याचिका में विचार नहीं किया जा सकता। 

एनआईए ने कहा कि मामले में आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि साक्ष्य से छेड़छाड़ किये जाने के सवाल पर सुनवाई के समय भी विचार किया जा सकता है। खंडपीठ सेन और सह आरोपी रोना विल्सन की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने अंतरिम जमानत के अलावा अपने खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है। सुनवाई के दौरान सेन की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह स्वतंत्रता का मुद्दा है। याचिका तीन महीने से अधिक समय से लंबित है। जयसिंह ने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा तीन छात्र कार्यकर्ताओं को इस हफ्ते की शुरूआत में दी गई जमानत का भी जिक्र करेंगी। ये छात्र दिल्ली में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों में आरोपी हैं। इस पर अदालत ने कहा कि वह सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दे रही है। अदालत ने सभी जवाब नौ जुलाई तक दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई के लिए निर्धारित कर दी। 
 

Created On :   17 Jun 2021 8:01 PM IST

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