OPD में लंबी लाइन, वैकल्पिक इंतजाम नहीं, जिला अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या

No alternative arrangements for the patients in District Hospital
OPD में लंबी लाइन, वैकल्पिक इंतजाम नहीं, जिला अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या
OPD में लंबी लाइन, वैकल्पिक इंतजाम नहीं, जिला अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या

डिजिटल डेस्क, शहडोल। जिला अस्पताल में कभी भी सतना जैसा हादसा हो सकता है। यहां ओपीडी में इस समय लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती हैं, क्योंकि एक पर्चा बनाने में औसतन पांच से सात मिनट का समय लगता है। इसके चलते लोगों को दो-दो घंटे तक लाइन में लगे रहना पड़ता है और मरीजों को इलाज समय पर नहीं मिल पाता है।

जिला अस्पताल की ओपीडी में सिर्फ तीन काउंटर हैं। एक काउंटर मैटरनिटी वार्ड में है, लेकिन वहां सामान्य मरीजों के पर्चे नहीं बनाए जाते हैं। बारिश के मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। रोजाना औसतन 600 से 700 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल में सुबह से ही मरीजों की लाइन लग जाती है। दोपहर तक काउंटर पर भीड़ लगी रहती है। अगर मरीज लाइन में 10 वें नंबर पर हैं तोउसको पर्ची बनवाने में कम से कम एक घंटा लग जाएगा। इसी क्रम में पीछे के मरीजों का नंबर लगता है। कुछ लोगों का नंबर तो एक बजे के बाद आता है तब तक डॉक्टर चले जाते हैं। अगर किसी तरह डॉक्टर को दिखा भी दिया, तो दवाइयां नहीं मिल पाती हैं।

पिछले करीब 15 दिनों से रोजाना यह स्थिति बन रही है। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने ओपीडी विंडो बढ़ाने जैसा कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया है। गौरतलब है कि सतना जिला अस्पताल में ओपीडी की पर्ची बनवाने के लिए डेढ़ घंटे तक लाइन में खड़ी रही महिला की गोद में ही बुखार से पीड़ित 10 माह की बेटी ने दम तोड़ दिया था।

चार ऑपरेटर से चल रहा काम
अस्पताल में ओपीडी का काम ठेके पर है। इसका ठेका रुबी कंप्यूटर्स के पास है। ठेके में 9 कंप्यूटर ऑपरेटर रखने की शर्त थी, लेकिन सिर्फ चार ऑपरेटर से ही काम चलाया जा रहा है। तीन ऑपरेटर हॉस्पिटल की ओपीडी में रहते हैं, जबकि एक मैटरनिटी वार्ड में बैठता है। मैटरनिटी वार्ड में भी सिर्फ 29 दिन तक के बच्चों की पर्ची ही बनाई जाती है।

ई-हॉस्पिटल के वजह से दिक्कत
बताया जाता है कि पहले ऑफलाइन सॉफ्टवेयर से ओपीडी की पर्ची बनती थी, लेकिन जब से जिला अस्पताल ई-हॉस्पिटल में शामिल हो गया है, ऑनलाइन पर्ची बनने लगी है। यह सॉफ्टवेयर भोपाल से कनेक्ट रहता है। पहले की तुलना में मरीजों की ज्यादा डिटेल अपलोड की जाती है। इस वजह से पर्ची बनाने में ज्यादा समय लगता है।

नहीं किया वैकल्पिक इंतजाम
बारिश का मौसम बीमारियों का मौसम माना जाता है। अन्य दिनों की तुलना में इन दिनों ज्यादा मरीज आते हैं। साफ्टवेयर बदलने से पर्ची बनाने में ज्यादा समय लगता है, अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी है, इसके बावजूद कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया गया है। जबकि मरीजों की संख्या को देखते हुए कम से कम छह काउंटर बनाने चाहिए।

इनका कहना है
पर्ची बनवाने में समय लग रहा है, काउंटर बढ़ाने पर विचार चल रहा है। ओपीडी में कितने कंप्यूटर ऑपरेटर रखने की शर्त ठेके में थी, इस बात की जानकारी मुझे नहीं है।
उमेश नामदेव, सिविल सर्जन

 

Created On :   24 Aug 2018 2:36 PM IST

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