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रेमडेसिविर की नहीं मांग, एक्सपायर होने की नौबत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में संक्रमण भले ही तेजी से फैल रहा है, लेकिन ओमिक्रॉन दूसरी लहर जितना खतरनाक नहीं है। दूसरी लहर के समय रेमडेसिविर इंजेक्शन की मारा-मारी रही। जमकर कालाबाजारी भी हुई। कई लोगों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन 30 से 40 हजार रुपए में खरीदा, तो किसी को रेमडेसिविर नहीं मिल पाने के कारण जान से हाथ से धोना पड़ा है। फिलहाल, रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की कोई पूछ-परख भी नहीं है। शनिवार को शहर में कोरोना मरीजों की संख्या 2150 रही। एक्टिव मरीजों की संख्या 9814 पर जा पहुंची, लेकिन अभी तक एम्स में भर्ती केवल 2 या 3 मरीजों को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता पड़ी है। साथ ही वो मरीज 60 वर्ष से अधिक उम्र के थे। इन्हें पहले से भी कई बीमरियां हैं। दूसरी लहर में रेमडेसिविर तो मानो संजीवनी थी, अब तो स्टॉकिस्ट के पास इंजेक्शन एक्पायर भी हो गए हैं।
500 से अधिक वॉयल एक्सपायर होंगे
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिन स्टॉकिस्ट ने रेमडेसिविर का स्टॉक कर लिया था, उनके पास रखे इंजेक्शन मार्च, अप्रैल तक एक्पायर हो जाएंगे। लगभग 500 वॉयल किसी काम के नहीं रह जाएंगे। वॉयल नॉन रिफंडेबल होने के कारण कंपनियां इसे वापस भी नहीं ले रही है। दूसरी लहर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर नियंत्रण रखने के लिए कलेक्टर कार्यालय से आवश्कतानुसार अस्पतालों में रेमडेसिविर का आवंटन किया जा रहा था, अब फॉर्मेसी में आसानी से उपलब्ध है।
एम्स : 2-3 मरीजों को लगा
डॉ. माधुरी थोरात, सिविल सर्जन के मुताबिक रेमडेसिविर का स्टॉक अभी बहुत है, लेकिन अच्छी बात यह है कि फिलहाल मरीजों को रेमडेसिविर की अावश्यकता नहीं पड़ रही है। एम्स में 2 या 3 मरीजों को ही रेमडेसिविर लगा भी है, तो वे डेल्टा वायरस से पीड़ित हैं।
Created On :   16 Jan 2022 5:08 PM IST