सड़कों पर न धूल, न धुआँ, खिलखिला रहे पौधे, मुस्कुरा रहे फूल

No dust, no smoke, blooming plants, smiling flowers on the streets
सड़कों पर न धूल, न धुआँ, खिलखिला रहे पौधे, मुस्कुरा रहे फूल
सड़कों पर न धूल, न धुआँ, खिलखिला रहे पौधे, मुस्कुरा रहे फूल

डिजिटल डेस्क  जबलपुर । न कोई विशेष देखभाल और न ही संरक्षण के प्रयास इसके बाद भी इन दिनों छेड़छाड़ से बचे हुए पौधे खिलखिला रहे हैं और फूल मुस्कुरा रहे हैं। डिवाडरों पर लगे पौधे लॉकडाउन के पहले तक तो जहरीले धुएँ और जानलेवा धूल से ढके रहते थे लेकिन अब उनमें मानो नई जान आ गई हो, वे कह रहे हैं कि हमें आजादी मिल गई। सड़कों के किनारे लगे पारिजात, कचनार, अकेशिया, बोगनबेलिया और अन्य प्रजातियों के वृक्षों और बेलों में इतने फूल तो जैसे कभी दिखे ही नहीं। चाहे रादुविवि का शांत माहौल हो या फिर टैगोर उद्यान की सूनी सड़कें, यहाँ हर तरफ फूल ही फूल नजर आते हैं बल्कि कई जगह तो सड़कों पर ऐसा लगता है जैसे फूलों ने गलीचा बिछा दिया हो। कुल मिलाकर इस लॉकडाउन ने प्रकृति को भरपूर शृंगार का मौका दिया और शायद इंसान को यह सोचने और समझने का भी अवसर दिया कि प्रकृति के साथ चलने में ही भलाई है। 
शहर की कोई भी गली हो, मुख्य मार्ग हो रहवासी क्षेत्र हो वहाँ इन दिनों वृक्षों का मनमोहक नजारा ही मिल रहा है। प्रदूषण की कमी के चलते इन पेड़ और पौधों को नया जीवन मिल गया है। डिवाइडर पर लगे पौधे आम दिनों में धूल की परत और पान गुटखा की पीकों से सने रहते थे, लेकिन इन दिनों वे भी साफ-सुथरे नजर आ रहे हैं क्योंकि बीच-बीच में बादल बरस रहे हैं और यह कह रहे हैं कि जो तुम नहीं कर सकते वे हम कर देंगे। सिविल लाइन के डिवाइडर, चौराहों की रोटरी, छोटी लाइन से मेडिकल फोरलेन के डिवाइडर कलेक्ट्रेट  रोड के डिवाइडरों पर लगे पौधे हों या फिर अधारताल फोरलेन के डिवाइडर हर तरफ भरपूर हरियाली नजर आ रही है। फूलों और पौधों की सुगंध तो सब लेते हैं, लेकिन उनकी पीड़ा कोई नहीं सुनता था अब वक्त ने शायद यही पुकार सुनी है और उन्हें भी एक मौका दिया है कि वे अपनी पीड़ा को भूलकर अपनी खूबसूरती बिखेरें। 

Created On :   28 April 2020 3:24 PM IST

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