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हाईकोर्ट में सीबीआई का दावा - हिरासत मौत मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ सबूत नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुलिस हिरासत में मौत का शिकार हुए युवक के मामले में आरोपी आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। बुधवार को सीबीआई ने बांबे हाईकोर्ट में यह दावा किया। हाईकोर्ट में अप्रैल 2014 में वडाला जीआरपी पुलिस कि हिरासत मेें मौत का शिकार हुए 25 वर्षीय युवक एग्नैलो वलडारेस के पिता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में वलडारेस के पिता ने इस मामले में आरोपी आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ के सामने सीबीआई के वकील हितने वेणेगांवकर ने कहा कि पुलिसवालों ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार आरोपी वलडारेस को शारिरिक रुप से प्रताड़ित नहीं किया था। वलडारेस ने पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की थी। इस दौरान उसकी मौत रेल पटरी पार करते मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई ने चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। जिन्होंने स्पष्ट किया है कि वलडारेस की मौत रेल एक्सीडेंट की वजह से हुई है। उन्होंने कहा कि आरोपी को गिरफ्तारी के बाद समय पर कोर्ट के सामने नहीं पेश किया गया था। वहीं याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि वलडारेस की मौत पुलिसकर्मियों द्वारा हिरासत में की गई बेरहम पिटाई से हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वलडारेस के शरीर में गंभीर चोट होने की बात की गई है। जो वलडारेस की हत्या का संकेत देते हैं। उन्होंने वलडारेस की मौत रेल दुर्घटना में नहीं हुई बल्कि हत्या के बाद उसे रेल की पटरी के पास फेका गया है। इसलिए आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
उपस्थिति कम होने के आधार पर परीक्षा में बैठने से रोकने पर हाईकोर्ट पहुंची मेडिकल छात्रा
कॉलेज में कम उपस्थिति के चलते एमबीबीएस पाठ्यक्रम की परीक्षा में बैठने की अनुमति न दिए जाने के खिलाफ एक छात्रा ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। नाशिक स्थित डाक्टर वसंतराव पवार मेडिकल हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की एमबीबीएस की तृतीय वर्ष की छात्रा ने दावा किया है कि उसने कक्षाएं शुरु होने के बाद से ही कक्षा में हाजिर रहती थी। वहीं महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजशेखर गोविलकर ने कहा कि छात्रा की क्लास में उपस्थिति 70 प्रतिशत से कम है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने इस मामले में यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 26 नवंबर को रखी है।
Created On :   21 Nov 2019 6:32 PM IST