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बगैर ओबीसी आरक्षण स्थानीय निकाय चुनाव नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राजनीति गरमाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दायर अंतरिम रिपोर्ट को नकार दिए जाने से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। इससे राज्य के 14 महानगरपालिकाओं सहित स्थानीय निकाय के अन्य चुनावों को लेकर ऊहापोह की स्थिति पैदा हो गई है। दोपहर करीब 12 बजे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इस मसले पर दोपहर 1 बजे मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई। बैठक के बाद ओबीसी नेता व कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने बताया कि मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि किसी भी परिस्थिति में बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव न कराए जाए।
भुजबल ने कहा कि मंत्रिमंडल ने एकमत से फैसला लिया है कि बगैर ओबीसी आरक्षण चुनाव नहीं होने चाहिए। भुजबल ने कहा कि बैठक में सभी मंत्रियों ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में बगैर आरक्षण चुनाव नहीं होने चाहिए। इसके लिए कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसको लेकर मार्ग निकालने वकीलों से चर्चा की जाएगी।
राज्य सरकार के नकारेपन से यह फैसलाः फडणवीस
विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं होने चाहिए। फडणवीस ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार बेआबरु हो गई। उन्होंने कहा कि अदालत ने पूछा कि जब राज्य सरकार खुद कह रही है कि अभी हमनें इम्पिरिकल डेटा जमा नहीं किया है तो फिर यह रिपोर्ट कैसे तैयार कर दी। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार के नकारेपन की वजह से सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है। राज्य सरकार ने अंतरिम रिपोर्ट के नाम पर मजाक किया। ओबीसी आरक्षण को लेकर सत्ताधारी दलों के नेता केवल जबानी जमा-खर्च कर रहे हैं। फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि इतने दिनों में रिपोर्ट क्यों नहीं तैयार कर सके। उन्होंने कहा कि सांगली जिले में 10 ग्राम पंचायतों ने पांच से 10 दिनों में इम्पिरिकल डेटा तैयार कर लिया। विपक्ष के नेता ने कहा कि अपनी कमियों को छुपाने के लिए सत्ताधारी दल दूसरों पर दोषारोपण कर रहे हैं।
मिनी विधानसभा चुनाव का क्या
राज्य में मुंबई, नागपुर सहित 14 महानगरपालिका और 208 नगर पालिका, 14 नगर पंचायत, 25 जिला परिषद व 284 पंचायत समितियों में चुनाव होने हैं। इन चुनावों की तैयारी को लेकर राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जिन स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, वहां बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराए जाए। हालांकि सत्तापक्ष सहित विपक्ष भी बगैर आरक्षण के चुनाव नहीं चाहता।
2022 में इन महानगरपालिकाओं के होने हैं चुनाव
मनपा कार्यकाल समाप्ति तिथि
मुंबई 7 मार्च 2022
नई मुंबई 4 मई 2020
ठाणे 5 मार्च 2022
नागपुर 4 मार्च 2022
चंद्रपुर 29 अप्रैल 2022
अकोला 8 मार्च 2022
अमरावती 8 मार्च 2022
औरंगाबाद 27 अप्रैल 2020
नाशिक 13 मार्च 2022
मालेगांव 13 जून 2022
लातूर 21 मई 2022
नांदेड 31 अक्टूबर 2022
कल्याण डोंबिवल 10 नवंबर 2020
उल्हासनगर 4 अप्रैल 2022
भिवंडी 8 जून 2022
पनवेल 9 जुलाई 2022
मीरा-भायंदर 27 अगस्त 2022
वसई-विरार 28 जून 2020
परभणी 15 मई 2022
पुणे 4 मार्च 2022
पनवेल 9 जुलाई 2022
सोलापुर 7 मार्च 2022
कोल्हापुर 15 नवंबर 2020
पिंपरी चिंचवड 13 मार्च 2022
कौन है याचिकाकर्ता विकास गवली
ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले विकास गवली एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। गवली को लेकर आरोप प्रत्योरोप शुरु हो गए हैं। खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि गवली बड़े-बड़े वकील खड़े करते हैं आखिर कौन उनकी मदद कर रहा है। जबकि विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि गलवी कांग्रेस के विधायक के बेटे हैं। वे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं। भुजबल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले से इस बारे में पूछना चाहिए।
Created On :   3 March 2022 5:40 PM IST