घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़ित महिला के निधन के बाद कोई और मुआवजे की मांग नहीं कर सकता

No one else can demand compensation after the death of the victim under Domestic Violence Act
घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़ित महिला के निधन के बाद कोई और मुआवजे की मांग नहीं कर सकता
हाईकोर्ट घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़ित महिला के निधन के बाद कोई और मुआवजे की मांग नहीं कर सकता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पीड़ित महिला के निधन के बाद उसकी ओर से कोई और घरेलू हिंसा कानून के तहत पैसे व मुआवजे की मांग नहीं कर सकता है। पीड़िता महिला के कानूनी प्रतिनिधि को भी इस तरह की मांग करने का हक नहीं है। बांबे हाईकोर्ट के एक फैसले में यह बात उभर कर सामने आयी है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़िता को मुकदमा दायर करते समय जीवित रहना चाहिए। पीड़िता के निधन के बाद उसकी ओर से कोई और पैसे अथवा मुआवजे की मांग को लेकर आवेदन नहीं दायर कर सकता है। न्यायमूर्ति एस.के शिंदे ने एक पीडित महिला के निधन के बाद उसकी नाबालिग बेटी की ओर से नानी द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। याचिका में बेटी ने अपने पिता व दादा-दादी से अपनी मां के गहने व उपचार में हुए खर्च के पैसों की मांग की थी। 

याचिका के मुताबिक पीड़ित महिला का निधन अक्टूबर 2013 में हुआ था। याचिका में नाबालिग बेटी ने कहा है कि जब उसकी मां बीमार थी तो उसकी उपेक्षा की गई। उसके साथ बदसलूकी की गई। जिसकी वजह से वह बीमार पड़ी। और लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। मेरे नाना-नानी ने मेरी मां की देखभाल की। मेरी मां के उपचार में नाना-नानी ने 60 लाख रुपए खर्च किए। मेरी मां के सोने के गहने भी ससुरालवालों ने रख लिए। इसलिए मेरी मां के लाखों रुपए के गहने व उपचार में खर्च की गई राशि को लौटाने का निर्देश दिया जाए। पुणे के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में बेटी को कोई राहत नहीं मिली थी। इसलिए बेटी ने अपनी नानी के माध्यम से मां की ओर से हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था।

न्यायमूर्ती ने आवेदन पर गौर करने के बाद कहा कि घरेलू हिंसा कानून की धारा 12 के तहत सिर्फ पीड़िता पैसे की व मुआवजे की मांग कर सकता है। यह धारा सिर्फ पीड़ित व वंचित महिला को अधिकार देती है कि वह मुकदमा दायर कर सके। धारा 12 के तहत पीड़िता को मिला अधिकार एक निजी अधिकार है। जो उसके निधन के साथ खत्म हो जाता है। इस अधिकार स्तांतरण नहीं हो सकता है। इसलिए पीड़िता के निधन के बाद कोई और उसकी ओर से मुकदमा दायर नहीं कर सकता है। पीड़िता के कानूनी प्रतिनिधि के पास भी इसका हक नहीं है।   

Created On :   10 Jan 2022 9:20 PM IST

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