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आचार संहिता के आधार पर सीनेट की बैठक पर प्रतिबंध के फैसले पर रोक, उर्दू अखबार के संपादक को भी राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने लोकसभा चुनाव के लिए लगाई गई आचार संहिता के आधार पर विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एम एस शंकलेचा की खंडपीठ ने यह रोक भाग्यश्री मनथलकर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद लगाई है। राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने मुंबई व पुणे के विश्वविद्यालय की सीनेट की बैठक पर रोक लगाने के संबंध में निर्देश जारी किया गया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान दावा किया गया कि सीनेट की बैठक पर रोक लगाने के संबंध में जारी किया गया निर्देश नियमों के विपरीत है। फिलहाल ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके आधार पर सीनेट की बैठक पर रोक लगाई जा सके। इसलिए इसे निरस्त किया जाए। सहायक सरकारी वकील निशा मेहरा ने खंडपीठ के सामने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के हित को ध्यान में रखते हुए बैठक पर रोक के संबंध में निर्देश जारी किया गया है। किंतु खंडपीठ ने सरकारी वकील की दलीलों को अस्वीकार कर दिया और सीनेट की बैठक न लेने के निर्णय पर रोक लगा दी।
उर्दू अखबार के संपादक को राहत : विवादित व्यंगचित्र प्रकाशित करने का मामला
इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने एक व्यंगचित्र प्रकाशित करने के बाद विवादो में घिरी एक उर्दू अखबार की पूर्व संपादक शिरीन दलवी को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने दलवी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। दलवी जिस समय (साल 2015) अखबार में संपादक थी उस समय अखबार में पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून(व्यंग चित्र) छपा था। इसके बाद दलवी खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। इस मामले को रद्द करने की मांग को लेकर दलवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सहायक सरकारी वकील केवी सस्ते ने कहा कि पुलिस ने इस मामले को लेकर सी समरी रिपोर्ट(क्लोजर रिपोर्ट) फाइल कर दी है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने दलवी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया।
स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया वारंट
उधर बांबे हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश का पालन न करने के लिए राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस आयुक्त को आश्वत करने कहा है कि इस वारंट को तामील किया जाए। न्यायमूर्ति भूषण गवई की खंडपीठ ने यह वारंट छत्रपति शिवाजी शिक्षण प्रसारक मंडल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया। याचिका के जवाब में हलफनामा न दायर करने से नाराज खंडपीठ ने स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। और मामले की सुनवाई 1 अप्रैल को रखी है।
23 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका
गर्भपात की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर एक 20 वर्षीय छात्रा ने 23 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मुंबई के जेजे अस्पताल के अधीष्ठता को छात्रा की जांच करने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया है। याचिका में छात्रा ने कहा है कि उसकी उम्र काफी कम है। ऐसे में यदि उसे गर्भपात की अनुमति नहीं दी जाती है तो इसका उसके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। । न्यायमूर्ति धर्माधिकारी की खंडपीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई रखी है। नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात अदालत की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसलिए छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
Created On :   27 March 2019 10:19 PM IST