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सरकार को फटकार, अस्पतालों के खिलाफ शिकायत की व्यवस्था न बनाना लूट को छूट देना
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि निजी अस्पतालों व नर्सिंगहोम पर शिकंजा कसने के लिए व्यवस्था न बनाना मरीजों से मनमानी वसूली का अनियंत्रित अधिकार देने जैसा है? ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। हाईकोर्ट में मुंबई व ठाणे के अस्पतालों में पीपीई किट,ग्लब्स,मास्क व सैनिटाइजर तथा अन्य सामग्री के लिए निर्धारित राशि से अधिक राशि लिए जाने के मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। यह याचिका पेशे से वकील अभिजीत मंगड़े ने दायर की है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता न्यायमूर्ति रेवती ढेरे की खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कहा कि सरकार ने अस्पताल व नर्सिंगहोम की ओर से बिल में की जा रही ओवर चार्जिंग रोकने के लिए क्या व्यवस्था बनाई है? सरकार नियमो का उल्लंघन करने वाले लोगों से कैसे निपटेगी और अपने नियमो को कैसे लागू कराएगी? इन सवालों के जवाब में सहायक सरकारी वकील निशा मेहरा ने कहा कि सरकार ने अस्पताल का अचानक निरीक्षण करने के लिए उड़न दस्तों का गठन किया है। इसके अलावा सरकार ने पीपीई किट, मास्क व सैनिटाइजर की कीमत के लिए एक सीमा तय की है। वहीं याचिकाकर्ता ने सरकार के उड़न दस्ते की बात को आंख में धूल झोंकने जैसा बताया। कहा कि सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि अस्पताल व नर्सिंग होम मरीजों से अधिक रकम न लें। क्योंकि यदि इस बारे में व्यवस्था नहीं बनाई गई तो इससे अस्पतालों को ओवर चार्जिंग का अनियंत्रित अधिकार मिल जाएगा। इसलिए सरकार इस मामले को लेकर हलफनामा दायर करे। जिसमें उड़नदस्तों के दौरे का ब्यौरा दिया जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 21 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   18 Aug 2020 7:16 PM IST