यलो फीवर का टीका लगाने प्रशिक्षित डॉक्टर ही नहीं, सेवानिवृत्त के  भरोसे चल रहा केंद्र 

Not only trained doctors to vaccinate yellow fever, but the center is running on the trust of retired
यलो फीवर का टीका लगाने प्रशिक्षित डॉक्टर ही नहीं, सेवानिवृत्त के  भरोसे चल रहा केंद्र 
ये लो यलो फीवर का टीका लगाने प्रशिक्षित डॉक्टर ही नहीं, सेवानिवृत्त के  भरोसे चल रहा केंद्र 

डिजिटल डेस्क, नागपुर. देश भर से अफ्रीकी देशों में जाने वालों की बड़ी संख्या है। नागपुर समेत पूरे विदर्भ से हर साल सैकड़ों लोग अफ्रीकी देश जाते हैं, मगर वहां जाने से पहले यलो फीवर (पीला बुखार) का वैक्सीन लगवाना जरूरी होता है। नागपुर में एक मात्र वैक्सीनेशन केंद्र डागा अस्पताल में है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बाद डॉ. संजीव चव्हाण को यलो फीवर की वैक्सीन लगाने का प्रशिक्षण दिया गया था। अन्य किसी दूसरे डॉक्टर को विकल्प के रूप में प्रशिक्षण नहीं दिया गया है और 1 मई 2022 को डॉ. चव्हाण सेवानिवृत्त हो गए। इस कारण यह केंद्र बंद होने की स्थिति में पहुंच गया था। डागा की अधीक्षक के आग्रह पर डॉ. चव्हाण ने सप्ताह में एक दिन ऑनररी सेवा देने की स्वीकृति दी। चार महीने बीत जाने के बावजूद इस केंद्र को प्रतिदिन चलाने के लिए किसी दूसरे डॉक्टर को प्रशिक्षित नहीं किया गया है। 

मच्छर से होता है संक्रमण : यलो फीवर एक विशेष प्रजाति के मच्छर के कारण होता है। यह संक्रमित बीमारी है। संक्रमण होने पर यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। बुखार, सिर दर्द, उल्टी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर स्थिति में हृदय, किडनी, लिवर आदि प्रभावित होता है।

मिला है आश्वासन : इस वैक्सीन सेंटर पर साल भर में पूरे विदर्भ से 300 से अधिक लोग आते हैं। केंद्र में हर समय वैक्सीन उपलब्ध नहीं होती हैं। वैक्सीन के अभाव में लोगों को तारीख देकर लौटा दिया जाता है। पिछले सप्ताह केंद्र को 60 डोज प्राप्त हुए हैं, इसलिए यहां वैक्सीनेशन शुरू हो पाया है। डागा प्रशासन के एक अधिकारी ने केंद्र सरकार के इम्यूनाइजेशन विभाग प्रमुख को पत्र लिखकर दूसरे डॉक्टर को प्रशिक्षण देने का निवेदन किया है। इसका संज्ञान लेते हुए नागपुर आकर कुछ डॉक्टरों को येलो फीवर वैक्सीनेशन का प्रशिक्षण देने का आश्वासन दिया है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा है। 

Created On :   23 Oct 2022 3:43 PM IST

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