मांसाहारी खाद्य पदार्थों पर मानवीय और अमानवीय लेबल के मामले में केंद्र-एफएसएसएआई को नोटिस

Notice to Center-FSSAI in the matter of human and inhumane label on non-vegetarian food items
मांसाहारी खाद्य पदार्थों पर मानवीय और अमानवीय लेबल के मामले में केंद्र-एफएसएसएआई को नोटिस
हाईकोर्ट मांसाहारी खाद्य पदार्थों पर मानवीय और अमानवीय लेबल के मामले में केंद्र-एफएसएसएआई को नोटिस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दुकानों व रेस्टोरेंट सहित विभिन्न स्थानों पर बिकनेवाले मांसयुक्त खाद्य पदार्थों में ‘मानवीय’ व ‘अमानवीय’ लेबल लगाने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार व खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। यह याचिका पेशे से वकील विराट अग्रवाल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मांसयुक्त खाद्य पदार्थ में पशु के काटने के तरीके के आधार पर मानवीय व अमानवीय का लेबल लगाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। 

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और याचिका पर सुनवाई 8 जून तक के लिए स्थगित कर दी। केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में अधिवक्ता डीपी सिंह उपस्थित थे। गौरतलब है कि याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी उस कमेटी की रिपोर्ट को भी जोड़ा गया है जिसमें ‘हलाल’ व ‘झटका’ के तरीके से पशुओं के काटने की पद्धति को क्रूरतम व अमानवीय बताया गया है।

क्रुर तरीके से काटे जा रहे पशु

याचिका में कहा गया है कि इस तरह से पशुओं को काटने के तरीके को खत्म करना चाहिए व मानवीय तथा आधुनिक तरीके से पशुओं को काटा जाना चाहिए और उसके हिसाब से मांसयुक्त खाद्य पदार्थों पर लेबलिंग की जाए। याचिका में दावा किया गया है कि पशुओं को काटने के लिए हलाला व झटका तरीका सिर्फ धार्मिक उद्देश्य अपनाया जाता है।  

याचिका में कहा गया है कि जो लोग धार्मिक रुप से ‘झटका’ व ‘हलाल’ तरीके से काटे गए पशु का मांस नहीं खाना चाहते हैं, उन्हें मानवीय तरीके से काटे गए पशु का मांस खाने का  विकल्प दिया जाना चाहिए। संविधान के तहत हर किसी को अपना भोजन चुनने का अधिकार है। इसलिए उपभोक्ताओं को इसकी सूचना मिलनी चाहिए कि वे किस तरह के मांस का सेवन कर रहे है। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक फैसले में तय किया है कि नागरिकों को इस संबंध जानकारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।  

 

Created On :   8 April 2022 9:06 PM IST

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