अब तो डिस्चार्ज कर दो मरीज को, दो महीने होने को आए!

Now discharge the patient, come for two months!
अब तो डिस्चार्ज कर दो मरीज को, दो महीने होने को आए!
अब तो डिस्चार्ज कर दो मरीज को, दो महीने होने को आए!

ये कैसा उपचार - ओएफके प्रशासन ने अस्पताल को लिखा पत्र, यह भी कहा- जब कैशलेस में सूचीबद्ध है तो क्यों माँग रहे 16 लाख
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
चुंबक की तरह पकड़े एक मरीज को निजी अस्पताल ने जब तकरीबन दो महीने बाद भी डिस्चार्ज नहीं किया तो आयुध निर्माणी प्रशासन को बीच में दखल देना पड़ा है। ओएफके ने हॉस्पिटल को पत्र लिखते हुए कहा है कि इतना ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी कर्मचारी को छुट्टी क्यों नहीं दी जा रही है, बल्कि परिजनों पर 16 लाख रुपए देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। आयुध निर्माणी खमरिया के एफ-3 में पदस्थ कर्मी अरुण तिवारी को 25 अप्रैल को अनंत हॉस्पिटल में कोरोना संदिग्ध के रूप में भर्ती कराया गया था। महाप्रबंधक की ओर से भेजे गए पत्र में हैरानी जताते हुए कहा गया है कि हमारे कर्मचारी को 1 माह 24 दिन बीत जाने के बाद भी डिस्चार्ज नहीं किया गया है। निर्माणी प्रशासन ने कहा है कि मरीज को डिस्चार्ज करने का शीघ्रता से प्रबंध किए जाएँ। 
कैशलेस की सुविधा तो पेमेंट क्यों- निर्माणी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि हॉस्पिटल सीजीएचएस की लिस्ट में शामिल है इसके बाद भी उसे कैशलेस उपचार की सुविधा क्यों नहीं दी गई। श्रमिक नेताओं ने प्रशासन से मुलाकात कर हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई कराने की माँग की है। 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से कहा - हमारे साथी की जान से खिलवाड़ 
इधर लेबर यूनियन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि जिस दौरान 32 वर्षीय अरुण को भर्ती कराया गया तब उसकी हालत काफी ठीक थी लेकिन बाद में सेहत में गिरावट दर्ज की जाने लगी। उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। यूनियन के रामप्रवेश, पुष्पेंद्र, अर्नब दासगुप्ता, श्रीराम मीणा, राकेश दुबे, असीम दुबे, सीपी दास का आरोप है कि परिजनों की आरजू-मिन्नतों के बाद भी मरीज को छुट्टी नहीं दी जा रही। उनसे 3.30 लाख रुपए लेने के बाद भी अब 16 लाख के लिए दबाव डाला जा रहा है। 
 

Created On :   15 Jun 2021 2:17 PM IST

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