अब ऑनलाइन भी हल हो सकते हैं कांट्रैक्ट से जुड़े विवाद, ओडीआर का चलन बढ़ाने की जरूरत

Now dispute related to contracts can also be resolved online
अब ऑनलाइन भी हल हो सकते हैं कांट्रैक्ट से जुड़े विवाद, ओडीआर का चलन बढ़ाने की जरूरत
अब ऑनलाइन भी हल हो सकते हैं कांट्रैक्ट से जुड़े विवाद, ओडीआर का चलन बढ़ाने की जरूरत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोविड-19 के कारण दुनिया के पहिए थम गए हैं। विविध क्षेत्रों के कामकाज का तरीका भी इस दौरान काफी बदल गया है। विशेषज्ञों की मानें तो विविध क्षेत्र अब इसी तरह नए वर्क कल्चर में काम करने लगेंगे। न्यायपालिका भी इससे अछूती नहीं रह गई है। लॉकडाउन पीरियड ने देश के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर निचली अदालतों और अन्य विवादों में अल्टरनेट डिसप्यूट रिजॉल्यूशन (मीडियेशन, आर्बिट्रेशन, कंसिलिएशन) का वर्क कल्चर काफी बदला है। इसमें खासी कारगर साबित हो रही है। लॉकडाउन के कारण आर्टफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से ‘ऑनलाइन डिसप्यूट रिजॉल्यूशन’ का ट्रेंड जोर पकड़ने लगा है। शहर की निवासी लीगल रिसर्चर एड.मल्लिका गोयनका यादूका ने हाल ही में ओडीआर के विविध पहलुओं पर अध्ययन करके इसकी संभावनाओं पर प्रकाश डाला है। वे लंदन स्थित क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में एलएलएम : कंपेयरेटिव एंड इंटरनेशनल डिसप्यूट रिजॉल्यूशन की छात्रा रही हैं।

इकठ्‌ठे हुए बगैर भी विवाद निवारण

ओडीआर के तहत विवाद से जुड़े विविध पक्ष ऑनलाइन आर्बिट्रेटर को अपना विवाद भेज सकते हैं। इसके बाद पक्षों को सुनवाई के लिए एक जगह आने की कोई जरूरत नहीं होती। वीडियो कांफ्रेंसिंग और टेलीफोन के जरिए इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के नियमों और मापदंडों के अनुसार सुनवाई की जाती है। कागजी रिकॉर्ड तैयार करने के बजाय डिजिटल यानी इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड भी तैयार किए जा सकते हैं। इसकी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कई बातों का ध्यान रखा जाता है। रिकॉर्ड के सत्यापन और अन्य प्रारंभिक प्रक्रिया के साथ ही पक्षकारों से प्राप्त होने वाली सूचना और नोटिस को तुरंत दूसरे पक्ष के लिए उपलब्ध कराना होता है। विवाद निवारण की हर स्टेज की जानकारी पक्षकारों दी जाती है। इन सब प्रयासों से ओडीआर प्रणाली विश्वसनीय हो जाती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आर्बिट्रेशन की जटिल प्रक्रिया को आसान किया जा सकता है। कानून और टेक्नोलॉजी के इस जोड़ से पक्षकारों और वकीलों का काम आसान और जल्दी हो जाता है।

जरूरत के अनुसार बदलाव स्वीकारना होगा

एड.मल्लिका गोयनका के मुताबिक दुनिया में हो रहे बदलाव को देखते हुए न्यायिक प्रक्रिया में भी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाने की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आसान, सस्ते और जल्दी विवाद हल किए जा सकते हैं। देश में ऑनलाइन डिसप्यूट रिजॉल्यूशन को बढ़ावा देने चाहिए।
 

Created On :   20 April 2020 1:44 PM IST

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