अब किसानों को मिलेगा छुट्टा जानवरों से छुटकारा, नीति आयोग उठा रहे हैं जरूरी कदम  

Now farmers will get rid of animals left, NITI Aayog is taking necessary steps
अब किसानों को मिलेगा छुट्टा जानवरों से छुटकारा, नीति आयोग उठा रहे हैं जरूरी कदम  
नौ राज्यों में परेशानी अब किसानों को मिलेगा छुट्टा जानवरों से छुटकारा, नीति आयोग उठा रहे हैं जरूरी कदम  

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, सुनील निमसरकर। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में छुट्‌टा जानवरों से परेशान किसानों के लिए अच्छी खबर है। प्रदेश के किसानों को अब छुट्टा जानवरों से जल्द राहत मिल सकती है। नीति आयोग ने किसानों को निजात दिलाने के लिए छुट्टा जानवरों की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। गाय के गोबर के व्यावसायिक इस्तेमाल और किसानों के लिए बोझ बनने वाले आवारा पशुओं से जुड़े अलग-अलग मसलों को हल करने को लेकर नीति आयोग एक रोडमैप तैयार कर रहा है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा है कि वे गोशाला अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए कदम उठा रहे है। उनके मुताबिक आयोग ने गोशालाओं से व्यावसायिक लाभ हासिल करने और उसके अर्थशास्त्र पर आर्थिक शोध संस्थान को एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। उनका कहना है कि अवांछित जानवरों को खुले में छोड़ना फसलों के लिए हानिकारक है इसलिए गोशाला अर्थव्यवस्था पर काम किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बहराइच में छुट्टा जानवरों की परेशानी को देखते हुए इससे किसानों को राहत दिलाने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि राज्य के किसानों को छुट्टा जानवरों से हो रही परेशानी को सरकार गंभीरता से ले रही है। शायद यहीं वजह है कि नीति आयोग ने किसानों को छुट्टा जानवरों से राहत देने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जनवरी, 2020 को जारी 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार देश में 50,21587 आवारा मवेशी हैं। इनमें से मध्यप्रदेश में 8,53,971 और महाराष्ट्र में 1,52,565 आवारा पशु हैं। पशुधन जनगणना बताती है कि आवारा पशुओं की सबसे अधिक संख्या मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित नौ राज्यों में बढ़ी हैं। देश में आवारा पशुओं के बढ़ने के कई कारण है। पिछले कुछ दशकों में स्वदेशी मवेशियों की उपेक्षा हुई है और क्रॉसब्रीडिंग पर ज्यादा ध्यान केन्द्रीत किया गया है। मशीनीकरण बढ़ने और गोहत्या पर राष्ट्रीय प्रतिबंध ने इस समस्या को और बढा दिया है।
 

Created On :   3 Jun 2022 8:41 PM IST

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