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दिवाली के बाद ही निकलेगा कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए टेंडर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेडिकल में लंबे समय से कैंसर इंस्टीट्यूट की योजना प्रस्तावित थी। बाद में यह योजना औरंगाबाद में शिफ्ट कर दी गई। वहां पर कैंसर इंस्टीट्यूट बनाया गया। इसके बाद लगातार मेडिकल की ओर से कैंसर इंस्टीट्यूट और लिनियर एक्सलरेटर मशीन की मांग की जा रही थी, जिसको लेकर मंत्रालय से मशीन के लिए 23 करोड़ और इंस्टीट्यूट के लिए 76.10 करोड़ की निधि मिली। इसको लेकर एनएमआरडीए टेंडर निकालने वाली है। टेंडर को लेकर मेडिकल से एक नक्शा दे दिया गया है। दूसरा विस्तृत नक्शा भी तैयार कर लिया है। अब यह टेंडर दिवाली के बाद ही निकलेगा। मशीन लेने में मदद करेगी टाटा : यहां पर लिनियर एक्सलरेटर मशीन के लिए मंत्रालय ने 23 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। अब तक इसकी खरीदी नहीं हो पाई है। इसकी खरीदी के लिए हाफकिन कपंनी को ऑर्डर दिया गया, लेकिन हाफकिन को मशीन देने के लिए कोई कंपनी तैयार नहीं हुई। यह मशीन बनाने वाली सभी कंपनियां विदेशी हैं। अौरंगाबाद में टाटा ने कंपनी से संपर्क कर दो लिनियर एक्सलरेटर मशीन दिलाई। इसको लेकर नागपुर में मशीन के लिए टाटा की सहायता ली गई। टाटा ने पूरी सहायता करने की बात कही है। इंस्टीट्यूट के निर्माण में मशीन के उपयोग के लिए एक बंकर जरूरी है। यह बंकर भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की गाइड लाइन के अनुसार बनाया जाएगा। इसके लिए आसपास के क्षेत्र खाली हाेने के साथ अन्य मानकों की भी जांच की जाएगी।
कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए बार-बार कोई न कोई पेंच फंस रहा है। इसमें पहले टेंडर के लिए 9 साल का समय लग गया। अब टेंडर की तैयारी की जा रही है। इसका एक नक्शा तैयार कर भेज दिया गया है। दूसरा विस्तृत नक्शा भी तैयार हो गया है। जिसे जल्द एनआईटी को सौंपा जाएगा, लेकिन यह टेंडर दिवाली के बाद ही निकलेगा। फिलहाल दिवाली के अवकाशों के कारण इसमें देरी हो रहा है। अक्टूबर के बाद इसका टेंडर निकाला जा सकता है। हालांकि इसके लिए डीन डॉ. सुधीर गुप्ता ने लगातार प्रयास किए, जिसके कारण 9 साल बाद इसमें विकास हुआ और टेंडर तक प्रक्रिया आगे बढ़ी।
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के टीबी वार्ड परिसर में इस इंस्टीट्यूट के लिए जगह निश्चित की गई थी। वह जमीन डीन के नाम पर नहीं थी। वह सार्वजनिक जमीन होने के कारण योजना अटक गई। करीब 6 साल से यह योजना इसी तरह अटकी रही। इसके बाद अब मेडिकल के डीन डॉ. सुधीर गुप्ता ने कलेक्टाेरेट से इस जमीन पर एनओसी ली, जिसके बाद अब इसका टेंडर निकाला जाएगा। यहां 3 मंजिल की इमारत तैयार की जाएगी, जिसमें 4 वार्ड, दो ऑपरेशन थिएटर और 3 आईसीयू होंगे, साथ ही 3 कोबाल्ट मशीन और एक लिनियर एक्सलरेटर मशीन की सुविधा होगी।
फंसा है पेंच
अब इसके टेंडर की प्रक्रिया जारी है, लेकिन इसमें एक और पेंच फंस गया है। टीबी वार्ड के क्षेत्र में जहां यह इंस्टीट्यूट बनना है। वह जगह जिलाधिकारी के नाम पर है। जिलाधिकारी ने निर्माण के लिए एनओसी तो दे दी है, लेकिन अब तक जमीन हस्तांतरित नहीं हुई है। मतलब जीएमसी के नाम नहीं हुई है। इस कारण जमीन का मिलना जरूरी है। हालांकि इसका एक नक्शा तैयार कर भेज दिया गया है। दूसरा नक्शा भी तैयार कर लिया गया है। 20 तारीख के बाद इसका टेंडर एनआईटी को सौपेंगे। लिनियर एक्सलरेटर मशीन की खरीदी और अन्य चीजों के लिए भी टाटा की मदद ली जा रही है।
Created On :   26 Oct 2021 6:43 PM IST