अब आतंकियों पर नजर रखने हाई-टेक्नॉलाजी ,3400 करोड़ रुपए की लागत का है प्रोजेक्ट

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अब आतंकियों पर नजर रखने हाई-टेक्नॉलाजी ,3400 करोड़ रुपए की लागत का है प्रोजेक्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर । देश के दुश्मनों पर पैनी नजर रखने के लिए बहुत जल्द ही हाई-टेक्नॉलाजी का उपयोग शुरू होने जा रहा है। इस आधुनिक तकनीक की सहायता से नक्सलियों और आतंकियों के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकेगा। इस तकनीक से रेंज के बारे में पता चलेगा कि कौन कहां पर बैठकर क्या बातचीत कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, 3400 करोड़ रुपए की लागत से इस प्रोजेक्ट काे पूरा किया जा रहा है। यह संभवत: जनवरी के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके दो सेंटर होंगे-बंगलुरू में इसका डाटा रिकवरी सेंटर और दिल्ली में मुख्यालय होगा। दोनों सेंटर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल में इस प्रोजेक्ट के प्रगति की समीक्षा की है। 

स्थायी समाधान की तलाश
विदर्भ के गड़चिरोली, गोंदिया सहित अन्य कई जिले में नक्सलवाद फैला हुआ है। नक्सलवाद और आतंकवाद जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान तलाशने के लिए केंद्र सरकार इस साल नेटग्रिड व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसके जरिए सुरक्षा एजेंसियां हर हरकत की लाइव ट्रैकिंग कर सकेंगी। नेटग्रिड मतलब नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड, देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों को पल-पल का (रियल टाइम) डाटा उपलब्ध कराएगा। इस तकनीक का उपयोग हाल ही में अभिनेता मनोज वाजपेयी अभिनीत, चर्चित वेब सीरिज ‘द फैमिली मैन" में दिखाया गया है। 

24 घंटे रहेगी नजर 
सूत्रों के अनुसार, खुफिया इनपुट का विश्लेषण करने के लिए नेटग्रिड के पास देश में आने वाले और यहां से दूसरे देश जाने वाले हर देशी-विदेशी व्यक्ति का पूरा डाटा उपलब्ध होगा। साथ ही उसकी बैंकिंग व वित्तीय लेन-देन, इमिग्रेशन, कार्ड से खरीदारी, ऑनलाइन शॉपिंग, मोबाइल व फोन कॉल, सोशल मीडिया प्रोफाइल, इंटरनेट सर्च, व्यक्तिगत कर-दाता, हवाई यात्रियों और रेल यात्रियों का रियल टाइम डाटा भी नेटग्रिड की पहुंच में होगा। इसकी मदद से सुरक्षा एजेंसियां हर संदिग्ध हरकत पर 24 घंटे नजर रख सकेंगी। नेटग्रिड सभी तरह के डाटा का एनालिसिस कर उसे खुफिया एजेंसियों तक पहुंचाएगा। संदिग्ध गतिविधि पर नेटग्रिड सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट भी करेगा।

इन सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा डाटा
सूत्रों की मानें तो नेटग्रिड का डाटा देश की 10 सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम पर मिलेगा। इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), डीआईआई , फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेशन (सीबीडीटी), सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइस इंटेलिजेंस और नारकोटिक्स कंट्रल ब्यूरो शामिल हैं।

1000 संगठनों का होगा डाटा
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नेटग्रिड के डाटा का काम भी तेजी से पूरा किया जा रहा है। आयकर विभाग के लगभग आठ करोड़ करदाताओं का डाटा नेटग्रिड प्रबंधन को प्राप्त हो चुका है। इसके अलावा नागरिक उड्डयन मंत्रालय और सभी एयरलाइंस कंपनियों से भी डाटा उपलब्ध कराने के लिए वार्ता जारी है। पहले चरण में नेटग्रिड से 10 एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं का डाटा जोड़ा जाएगा। आने वाले वर्षों में करीब 1000 अन्य संगठनों का गोपनीय डाटा नेटग्रिड से जोड़ने की योजना है। फिलहाल, बैंकिंग लेन-देन और इमिग्रेशन का डाटा नेटग्रिड पर रियल टाइम मैकेनिज्म के तहत सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

मुंबई आतंकी हमले के बाद बनी थी योजना
नेटग्रिड की योजना 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद बनी थी। इस हमले में 166 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। लश्कर-ए-तैयबा ने ये आतंकी हमला पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली के फोटो-वीडियो इनपुट के आधार पर अंजाम दिया था। डेविड हेडली ने इस आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए वर्ष 2006 से 2008 के बीच कई बार भारत की यात्रा की और इस दौरान आतंकियों के घुसपैठ और हमले के संभावित ठिकानों की रेकी कर उनकी फोटो व वीडियो बनाई थी।

मोदी ने दोबारा शुरू कराया काम
जानकारों ने बताया कि उस वक्त खुफिया एजेंसियों के पास नेटग्रिड जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिस वजह से हेडली की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में खुफिया एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी। मुंबई हमले के बाद यूपीए सरकार ने 8 अप्रैल 2010 को नेटग्रिड योजना को मंजूरी प्रदान की थी। हालांकि, 2012 तक इसके गठन का काम केवल फाइलों में चलता रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2016 को एक बैठक कर इस योजना पर दोबारा काम शुरू करने का निर्देश दिया था। अब जनवरी 2020 के अंत तक इसके शुरू होने की पूरी संभावना है। 

इसके बारे में ज्यादा कह पाना मुश्किल 
फिलहाल पूर्णत: जानकारी नहीं है। इस बारे में अभी तक किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई है, इसलिए नेटग्रिड प्रणाली के बारे में ज्यादा कुछ कह पाना मुश्किल है।  -डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय, पुलिस आयुक्त, नागपुर शहर

Created On :   6 Jan 2020 12:17 PM IST

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