अब ब्लैक फंगस की दहशत - मेडिकल कॉलेज में 15 मामलों की पुष्टि, अब तक 4 मौतें

Now panic of black fungus - 15 cases confirmed in medical college, 4 deaths so far
अब ब्लैक फंगस की दहशत - मेडिकल कॉलेज में 15 मामलों की पुष्टि, अब तक 4 मौतें
अब ब्लैक फंगस की दहशत - मेडिकल कॉलेज में 15 मामलों की पुष्टि, अब तक 4 मौतें

म्यूकोरमाइकोसिस के 10 एक्टिस केस, गुरुवार को हुए 4 ऑपरेशन, डेडिकेटेड वार्ड में भर्ती हो रहे मरीज विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत, जरूरी है शुगर की जाँच
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
शहर में म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले अब बढऩे लगे हैं। मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक वार्ड में 15 बेड की म्यूकोरमाइकोसिस यूनिट शुरू की गई है, जिसमें ब्लैक फंगस के शिकार मरीजों को रखा जा रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा अब 15 मामलों की पुष्टि की गई है, वर्तमान में 10 एक्टिस केस हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है। इनमें 4 का ऑपरेशन गुरुवार को ही किया गया है। निजी अस्पतालों में भी इस बीमारी के मामले रिपोर्ट हो रहे हैं, हालाँकि इनकी संख्या कितनी है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। ब्लैक फंगस के चलते मेडिकल कॉलेज में ही 4 मौतें हो चुकीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से ठीक हो चुके या ठीक हो रहे मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि कोरोना के ट्रीटमेंट के दौरान स्टेरॉयड आदि देने से मरीज की शुगर बढ़ जाती है, जो ब्लैक फंगस होने का बड़ा कारण है। बीमारी इतनी खतरनाक है कि लोगों की जान बचाने के लिए उनके शरीर के अंग तक काटकर निकालने पड़ सकते हैं। 
मेडिकल में टीम तैयार, इलाज शुरू 
मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के ट्रीटमेंट के िलए चिकित्सकों की टीम तैयार है और मरीजों का इलाज शुरू भी कर दिया गया है। ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी के लिए दूसरे शहरों से भी मरीज के परिजन और अस्पताल संपर्क कर रहे हैं। हमारी स्ट्रेटजी में सबसे पहले प्रिवेंशन यानी कि बीमारी को होने से रोकना और अगर बीमारी हो गई है तो शुरुआती स्टेज में  ही डिटेक्ट कर उसे ठीक करना शामिल है। उन मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है, जो लंबे वक्त से डायबिटीज से जूझ रहे हैं। 
शुरुआत में डिटेक्ट होना जरूरी 
विशेषज्ञों के अनुसार इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट करना जरूरी है, नहीं तो यह नाक से शुरू होकर आँखों और फिर दिमाग तक पहुँच जाता है। आँखों की रोशनी जा सकती है या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैला है शरीर का वो हिस्सा बुरी तरह सड़ सकता है। ये फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है। 
किन्हें सबसे ज्यादा खतरा 
* ब्लैक फंगस की चपेट में ऐसे लोग सबसे ज्यादा आते हैं जो डायबिटिक हैं या लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों। 
* अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है।  
 

Created On :   14 May 2021 2:28 PM IST

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