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अब निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफेसरों का वेतन अब राज्य सरकार देगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफेसरों (प्राध्यापक) का वेतन अब प्रदेश सरकार देगी। प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने यह घोषणा की है। सोमवार को पुणे के एक कार्यक्रम में पाटील ने कहा कि सरकार प्रदेश के सभी निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफेसरों के वेतन का खर्च वहन करेगी। लेकिन इसके बदले में निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों को विद्यार्थियों का शैक्षणिक फीस कम करना पड़ेगा। पाटील ने कहा कि निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफेसरों को वेतन के लिए अनुदान देने से सरकार की तिजोरी पर लगभग एक हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। सरकार फिलहाल अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफेसरों पर 12 हजार करोड़ खर्च करती है। अब निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफसरों के वेतन देने की मंजूरी के लिए राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफसरों का वेतन सरकार की ओर से दिए जाने पर अंतिम फैसला होगा। पाटील ने कहा कि निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों में विद्यार्थियों से बहुत अधिक शैक्षणिक फीस इस कारण वसूली जाती है क्योंकि राज्य सरकार की ओर से निजी महाविद्यालयों के प्रोफेसरों का वेतन के लिए अनुदान नहीं दिया जाता है। लेकिन अब सरकार निजी गैर अनुदानित महाविद्यालयों के प्रोफेसरों का वेतन के लिए अनुदान देने का फैसला करेगी। पाटील ने कहा कि राज्य के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय में पढ़ने के लिए विद्यार्थियों से 84 हजार रुपए फीस ली जाती है। जबकि निजी मेडिकल महाविद्यालय में विद्यार्थियों से 22 लाख रुपए फीस वसूला जाती है। मेरा सवाल है कि क्या निजी महाविद्यालय अपने प्रोफसरों को हर महीने 10 लाख रुपए वेतन देते हैं? पाटील ने कहा कि सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के मुकाबले निजी चिकित्सा महाविद्यालय पांच गुना अधिक फीस ले सकते हैं, क्योंकि उनके पास आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन कोई निजी महाविद्यालय 22 लाख रुपए फीस कैसे वसूल सकता है?
Created On :   26 Sept 2022 9:14 PM IST