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MP : अब धूल उड़ाने वाले निर्माणों में उसे रोकने के उपाय करने होंगे
डिजिटल डेस्क,भोपाल। अब धूल उड़ाने वाली निर्माण परियोजनाओं (जिनमें भवन एवं सड़क निर्माण भी शामिल हैं) में धूल को रोकने के लिए उपाय करने होंगे। इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण नियम 1986 में संशोधन जारी कर दिया है।
नए संशोधन के अनुसार, धूल उड़ाने वाली निर्माण परियोजनाओं को इन्वायरमेंटल क्लीयरेंस लेने हेतु धूल रोकने के उपाय करने होंगे। उन्हें निर्माण स्थल तक खड़ंजे वाली या डामर सड़कें बनानी होंगी। धूल उपशमन उपायों के बिना मिट्टी की खुदाई नहीं की जाएगी। कोई भी मिट्टी या रेत या निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट श धूल वाली कोई अन्य निर्माण सामग्री बिना ढके नहीं छोड़ी जाएगी। निर्मित किए जाने वाले भवन की ऊंचाई की एक बटा तीन और अधिकतम 10 मीटर तक के विड ब्रेकर यानि टीन के शेड लगाने होंगे। धूल न उड़े इसके लिए जल छिड़काव प्रणाली की व्यवस्था करनी होगी। निर्माण स्थल जनता को आसानी से दिखाई देने के लिए धूल उपशमन उपायों का स्पष्ट तौर पर प्रदर्शन करना होगा।
इसी प्रकार नए रेगुलेशन के तहत खुले क्षेत्र में भवन सामग्रियों की घिसाई तथा कटाई को प्रतिबंधित करना होगा। निर्माण सामग्री तथा अपशिष्ट का भण्डारण केवल निर्धारित क्षेत्र के अंदर करना होगा और निर्माण सामग्री तथा अपशिष्ट को सड़क के किनारे भण्डारण को प्रतिबंधित करना होगा। निर्माण सामग्री तथा अपशिष्ट ढोने वाले बिना ढके हुए किसी भी वाहन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इन शहरों में लागू होंगे ये नए प्रावधान
नए प्रावधान देश-प्रदेश के उन शहरों में लागू होंगे जहां धूलकण यानि पर्टिकुलेट मैटर 10 या 2.50 से अधिक है। इसका सरल आशय यह है कि यदि हवा में धूलकण 10 या 2.50 से कम हैं तो व्यक्ति की नाक ही इन धूलकणों को फिल्टर कर हवा फेफड़े के अंदर ले जाता है और यदि धूलकण 10 या 2.50 से अधिक है तो व्यक्ति की नाक इन धूलकणों को फिल्टर नहीं कर पाती है तथा धूलकण फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे सर्दी-जुकाम, एलर्जी, अस्थमा आदि बीमारियां हो जाती हैं।
मप्र में सभी महानगरों में ज्यादा धूलकण
इस समय प्रदेश के सभी महानगरों यथा भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में धूलकण 10 या 2.50 से अधिक हैं। अन्य नगरों एवं शहरों में भी स्थिति ठीक नहीं।
भोपाल मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल सदस्य सचिव एए मिश्रा का कहना है कि केंद्र सरकार ने धूल उड़ाने वाली सभी निर्माण परियोजनाओं में धूल रोकने के उपाय करने संबंधी रेगुलेशन जारी किए हैं। अब इन परियोजनाओं को इन्वायरमेंटल क्लीयरेंस तभी मिलेगी जबकि वे धूल रोकने के निर्धारित उपाय करेंगे।
Created On :   4 Feb 2018 11:58 AM IST