महाराष्ट्र की इस तहसील में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम

Number of girls less than boys in this tehsil of Maharashtra
महाराष्ट्र की इस तहसील में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम
महाराष्ट्र की इस तहसील में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले के कुही तहसील में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या बेहद कम होने का चौंकानेवाला खुलासा सामने आया है। कुही तहसील में 1000 लड़कों पर 700 लड़कियां होने की रिपोर्ट है। जिलाधीश रवींद्र ठाकरे ने  ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना पर प्रभावी अमल करने के अलावा इसके तह तक जाकर इसके कारणों को देखने की सूचना प्रशासन को दी है। कुही तहसील में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ योजना पर विशेष जोर देने को कहा। 2020 की रिपोर्ट पर नजर डालें, तो जिले में 1000 लड़कों  पर 917 लड़कियां हैं, लेकिन कुही में दिसंबर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 1000 लड़कों पर 700 लड़कियों का जन्म हुआ है। जन्म के आधार पर लड़के-लड़कियों का अनुपात का प्रमाण निकाला जाता है।

जिलाधीश रवींद्र ठाकरे ने कुही तहसील में लड़कियों के कम प्रमाण के लिए बेटा-बेटी के गुणोत्तर प्रमाण की जांच पर जोर दिया। ग्रामसेवकाें से जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त कर लड़कियों का प्रमाण बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने की सूचना की। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना को रफ्तार दी जाए। बेटियों के कम लिंग के मामले में तह तक जाकर इसके कारण ढूंढ़ने को कहा। आशा वर्करों को इस काम में लगाकर रिपोर्ट तैयार की जाए। गर्भपात की भी जानकारी ली जाए। लोगों की मानसिकता बदलने के लिए समुपदेशन पर जोर दिया जाए। इसके लिए स्वयंसेवी संगठन की भी मदद ली जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्र में दसवीं के बाद शिक्षा का प्रमाण कम होता है। शिक्षा का प्रमाण कम नहीं होना चाहिए। गर्भवती महिलाआें का सर्वे किया जाए। गर्भवति माताआें की विशेष चिंता करनी है। महिलाआें की शिक्षा, स्वास्थ्य पर जोर देकर उनके सर्वांगीन विकास का प्रयास होना चाहिए। 

जिले की कुही तहसील अन्य तहसीलों की अपेक्षा राजमार्ग से दूर मानी जाती है। यहां आने-जाने के लिए सीधे परिवहन की काफी परेशानी है। आज भी यहां शाम 7 बजे के बाद एसटी या ऑटो सेवा नहीं मिल पाती। इस तहसील के अधिकांश गांव रास्ते से कटे (दूरदराज) हुए हैं। परिवहन के सीधे साधन नहीं होने आैर स्वास्थ्य सेवा जैसे प्रसव की उत्तम व्यवस्था नहीं होने से इस तहसील की महिलाआें का 30-35 फीसदी प्रसव तहसील के बाहर होता है।

केंद्र पुरस्कृत ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना पर जिलाधीश कार्यालय के बचत भवन में बैठक हुई। बैठक में  उपजिलाधीश विजया बनकर, हेमा बढे, शिवनंदा लंगडापुरे, तहसीलदार राहुल सारंग व महिला व बाल विकास अधिकारी भागवत तांबे प्रमुखता से उपस्थित थे। 

स्पर्धा का आयोजन करें : देश के 100 अत्याचारग्रस्त शहराें में नागपुर का 25वां नंबर है। अत्याचार कम करने पर सभी ध्यान दें। आश्रमशालाआें का निरीक्षण कर ल़़ड़कियों की परेशानी को समझें। तहसील समन्वयक से महिला बचत गटाें की जानकारी जुटाएं। समाज में ल़़ड़कियों के बारे में सकारात्मक माहौल तैयार किया जाए।  जनजागृति भी करनी चाहिए। लड़कियों का जन्मदर बढ़ाने का सभी का प्रयास होना चाहिए। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की सफलता के लिए जिलास्तरीय जिंगल्स स्पर्धा का आयोजन किया जाए। 

परिवहन सुविधाओं की है कमी

भागवत तांबे, महिला व बाल विकास अधिकारी जिला परिषद के मुताबिक 2020 की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 1000 लड़कों पर 917 लड़कियां हैं। दिसंबर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कुही तहसील में 1000 लड़कों पर 700 लड़कियों का जन्म हुआ है। इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि कुही तहसील की महिलाआें का प्रसव अन्य जगह होता है। लड़की का जन्म अगर नागपुर शहर या उमरेड में हुआ, तो उसकी गणना कुही में नहीं होगी। राजमार्ग से सीधे नहीं जुड़ना व परिवहन के बहुत ज्यादा विकल्प नहीं होना आैर स्वास्थ्य सेवा जैसी व्यवस्था नहीं होने से भी अनुपात प्रभावित हो रहा है। 
 

Created On :   11 March 2021 4:09 PM IST

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