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सिकलसेल एनीमिया जांच से वंचित 45 हजार जनजातीय बच्चे, ठंडे बस्ते में योजना
डिजिटल डेस्क शहडोल । अनुसूचित जनजाति के निर्धन बच्चों को सिकलसेल एनीमिया रोग से बचाने का कार्यक्रम ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। जबकि प्रदेश शासन ट्रायबल विभाग ने सन् 2014 में बच्चों की जांच व एहतियाती उपाय के निर्देश थे। शासन की मंशा थी कि बच्चों को रोग से बचाने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्कूलों में शिविर आयोजित किए जांए और रोग की स्थिति पाए जाने पर तत्काल उपाय किया जाए। ट्रायबल विभाग ने इसके लिए बजट का प्रावधान भी किया था। लेकिन यह उपाय कहीं नहीं हो रहा है। जिलेे के सभी पाच विकासखण्डों में संचालित स्कूलों में लगभग 45 हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। लेकिन योजना का लाभ किसी बच्चे को नहीं मिला।
यह है बीमारी
डॉ. राजेश तिवारी ने बताया कि सिकलसेल एनीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है। जिसमें शरीर का खून जल्दी घटता है। शरीर की लाल रक्त कणिकांए जो करीब 120 दिन में टूटती हैं इस बीमारी के कारण वे जल्दी टूटती हैं। बच्चे का किडनी, लीवर बढ़ता है और उसकी ग्रोथ रुक जाती है। इसका आवश्यक उपचार रक्त चढ़ाना ही है। जब भी शरीर में रक्त की कमी हो रोगी को तत्काल रक्त दिया जाना चाहिए।
बजट दिया था स्वास्थ्य विभाग को
बताया गया कि सन् 2014-15 की योजना का बजट सन् 2016 में 17 लाख रुपए आवंटित किए गए थे। जिसे ट्रायबल विभाग शहडोल ने स्वास्थ्य विभाग को प्रदान कर दिया था। इसके बाद बजट सीधे भोपाल स्तर से स्वास्थ्य विभाग को दे दिया जाता है। ज्ञात हुआ कि इस वर्ष पूरे प्रदेश के लिए करीब 25 करोड़ रुपए का बजट आवंटित हुआ है। लेकिन कार्रवाई कहीं प्रतीत नहीं होती है।
न कार्ड बना न जांच हो रही है
प्रावधान यह है कि डाक्टरों द्वारा जनजातीय बच्चों बच्चों की जांच कर उनके निल, आंशिक और पूर्ण ग्रसित तीन तरह के कार्ड बनाएं जाएं। इसकी जानकारी स्कूल तथा हॉस्टल अधीक्षकों को होनी चाहिए और वे अपनी रिपोर्ट विभागीय अधिकारियों को प्रेषित करेंगे। ताकि बच्चे के उपचार की शीघ्र व्यवस्था की जाए। अभी तक चूकि सिकलसेल की पृथक जांच नहीं की गई इसलिए किसी बच्चे का कार्ड भी नहीं बना है।
इनका कहना है
जनजातीय बच्चों को सिकलसेल एनीमिया से राहत दिलाने शासन की योजना कई वर्षों से संचालित है, स्वास्थ्य विभाग को बजट भी दिया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रयास नहीं किया जाता है। अभी तक कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं मिली है जिसमें सिकलसेल जांच की जानकारी दर्ज हो।
नरोत्तम बरकड़े, सहायक आयुक्त, ट्रायबल
सिकलसेल एनीमिया की जांच का कार्य प्रथक से बच्चों के लिए नहीं किया जाता है। स्वास्थ्य परीक्षण का जो कार्यक्रम संचालित होता है, उसी से सारी स्थितियां पता की जातींं हैं।
डॉ. राजेश पाण्डेय सीएमएचओ, शहडोल
Created On :   15 Dec 2017 1:41 PM IST