समाज सेवा के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आरोप से अधिकारी और आपराधिक मामले से महिला को मिलेगी राहत

Officer will get relief from the allegation of sexual harassment at the workplace
समाज सेवा के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आरोप से अधिकारी और आपराधिक मामले से महिला को मिलेगी राहत
हाईकोर्ट समाज सेवा के बाद कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आरोप से अधिकारी और आपराधिक मामले से महिला को मिलेगी राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट के निर्देश के तहत एक बड़ी कंपनी के अधिकारी को कार्यस्थल पर अपनी महिला सहकर्मी के यौन उत्पीड़न से राहत पाने के लिए 6 माह तक महीने में एक बार चिल्ड्रन होम में समाज सेवा करनी पड़ेगी। वहीं अधिकारी की शिकायत पर उगाही से जुड़े कथित आपराधिक मामले का सामने कर रही महिला को भी राहत के लिए चिल्ड्रन होम ऐसी ही सेवा देनी पडेगी। एक ही जगह कार्यरत महिला व अधिकारी एक दूसरे के परिचित थे। बाद में दोनों के संबंध गहरे हो गए। 

एक दिन अधिकारी को अचानक दो पत्र मिले। एक पत्र अधिकारी के नाम पर था दूसरा उसकी पत्नी के नाम पर थे। ये दोनों पत्र मानहानिपूर्ण व अपमानजनक थे। यही नहीं अधिकारी से सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम)  के जरिए  चालिस हजार रुपए की भी मांग की गई। इसके बाद अधिकारी ने महिला के खिलाफ पुलिस में उगाही का आपराधिक मामला दर्ज कराया। इस बीच महिला ने भी अधिकारी के खिलाफ पीओएसएच कानून के तहत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को देखने के लिए बनी कमेटी के पास शिकायत की। इस तरह अधिकारी व उनके साथ काम करनेवाली महिला ने एक दूसरे के खिलाफ शिकायत की। किंतु कुछ समय बाद दोनों अपने मामले को आपसी सहमति से सुलझा लिया। लिहाजा अधिकारी ने महिला के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका याचिका दायर की। 

न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान अधिकारी ने याचिका में जबकि महिला ने हलफनामा दायर कर कहा कि हमने गलफहमी में एक दूसरे के खिलाफ शिकायत की है। महिला ने कहा कि वह अधिकारी के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले को देखनेवाली कमेटी के सामने की गई शिकायत को वापस लेने को तैयार है। जबकि अधिकारी ने कहा कि यदि मामले को लेकर दर्ज एफआईआर रद्द की जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। मामले से जुड़े पक्षकारों ने कहा कि वे समाजसेवा करने के लिए भी राजी है। इसके बाद सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने बोरोवली स्थित शांति सदन नामक चिल्ड्रन होम का सुझाव दिया। फिर खंडपीठ ने अधिकारी व महिला को 6 माह तक हर महीने दूसरे रविवार को चिल्ड्रिन होम में समुदायिक सेवा करने को कहा। खंडपीठ ने कहा कि इसको लेकर वे कोर्ट में प्रमाणपत्र भी पेश करे। इस तरह खंडपीठ ने आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। और दोनों पक्षकारों को राहत प्रदान की। 


 

Created On :   3 May 2022 8:37 PM IST

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