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प्रापर्टी का ब्यौरा देने में टालमटोल कर रहे अफसर, 32 क्लास-वन और 29 क्लास-टू ने छुपाई जानकारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार में बड़े ओहदे पर बैठे बड़े अधिकारी अपनी संपत्ति की जानकारी देने से बच रहे हैं। इसमें डिप्टी कलेक्टर से लेकर तहसीलदार जैसे अधिकारी भी शामिल हैं, जबकि ऐसा करने पर उन्हें प्रमोशन से भी हाथ धोना पड़ सकता है। सरकार का आदेश है कि हर साल सभी सरकारी अफसरों से लेकर कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की जानकारी देना अनिवार्य है। जबकि ऐसे कई अधिकारी हैं, जिन्होंने साल निकल जाने के बाद भी सरकार को अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दी है। नागपुर जिलाधिकारी कार्यालय अंतर्गत इस साल करीब 32 क्लास-वन और 29 क्लास-टू के अधिकारियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सरकार से छुपाई है। उक्त जानकारी छुपाने से इन अधिकारियों का सीआर खराब होता है। प्रमोशन या अन्य लाभों पर असर पड़ सकता है, लेकिन इन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। शायद प्रमोशन से ज्यादा संपत्ति की जानकारी छुपाने में इनका फायदा है। ऐसे में अधिकारियों की संपत्ति को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
प्रमोशन से ज्यादा जानकारी छुपाने में फायदा
अनेक अधिकारियों द्वारा संपत्ति का ब्योरा नहीं देने से गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का दावा है कि कई अधिकारी वर्षों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं। वे अपनी जगह पर कलेक्टर से भी बड़े बन गए हैं। ऐसे में उन्हें प्रमोशन से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। प्रमोशन से जो वेतन बढ़ना है, उससे कहीं ज्यादा वे मौजूदा पद पर रहकर बड़े बन गए हैं, इसलिए वे संपत्ति का ब्योरा देने के बजाए अपने लक्ष्य पर ध्यान देते हैं।
एसीबी के लिए मददगार
अधिकारियों द्वारा हर साल दी जाने वाली संपत्ति की जानकारी प्रशासन के रिकार्ड में रहती है। जब कभी संबंधित अधिकारी, भ्रष्टाचार निर्मूलन विभाग के जाल में फंसता है, उसकी सारी कुंडली निकाली जाती है। इस दौरान एसीबी, जिला प्रशासन से उसकी संपत्ति की जानकारी मांगती है। ऐसे मौके पर यह जानकारी एसीबी को काफी मददगार साबित होती है। संपत्ति का मिलान नहीं होने पर संबंधित अधिकारी पर शिकंजा कसा जाता है।
50 % ने नहीं दिया ब्योरा
सरकारी आंकड़ों को आधार माना जाए, तो 50 प्रतिशत से ज्यादा अधिकारी अपना ब्योरा पेश नहीं करते हैं। फिलहाल नागपुर जिले में क्लास-वन के 43 और क्लास-टू के 69 अधिकारी कार्यरत हैं। इसमें डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और लघुलेखक शामिल हैं, किन्तु अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करने वाले उससे भी आधे हैं। वर्ष 2017-18 में क्लास-वन के 21 और क्लास-टू के 11 अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा पेश किया था। वर्ष 2018-19 में क्लास-वन के 17 और क्लास-टू के 30 अधिकारियों ने संपत्ति की जानकारी दी थी। चालू वर्ष 2019-20 में क्लास-वन के 11 और क्लास-टू के 40 अधिकारियों ने अपने खजाने की जानकारी दी है। फिलहाल प्रशासन यह कहकर शांत है कि जिन्होंने अपनी संपत्ति ब्योरा नहीं दिया है, उनके प्रमोशन पर इसका असर पड़ेगा।
जिस वर्ष प्रमोशन, उसी साल देते हैं ब्योरा :
त्ति का ब्योरा सरकार को देने का आदेश दिया है। आईएएस अधिकारी को 1 जनवरी तक संपत्ति का ब्योरा सरकार को ऑनलाइन भेजना है, जबकि क्लास-वन के डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, क्लास-टू के नायब तहसीलदार, लघुलेखक स्तर के अधिकारियों को 31 मार्च तक संपत्ति की जानकारी जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करनी पड़ती है। यह जानकारी विभागीय आयुक्त के पास जाती है, जहां से राज्य सरकार को भेजा जाता है। आईएएस अधिकारी हर साल ऑनलाइन अपनी जानकारी सरकार को भेजते हैं, लेकिन डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार जैसे पदों पर बैठे अधिकारी जानकारी देने से बच रहे हैं। यह स्थिति एक साल की नहीं, बल्कि हर साल की है। कुछ अधिकारी जिस वर्ष प्रमोशन रहता है, सिर्फ उसी साल अपना ब्योरा दे रहे हैं। अन्य वर्षों में वे इससे बचते हैं।
Created On :   28 Dec 2019 1:57 PM IST