नए से बेहतर हैं पुराने बोरवेल, ठीक किए तो कम खर्च में बन जाएगी बात

Old borewells are better than new ones, it will start in less expense
नए से बेहतर हैं पुराने बोरवेल, ठीक किए तो कम खर्च में बन जाएगी बात
नए से बेहतर हैं पुराने बोरवेल, ठीक किए तो कम खर्च में बन जाएगी बात

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में संभावित जलसंकट से निपटने के लिए 51.26 करोड़ रुपए का जलसंकट निवारण प्रारूप तैयार किया गया है। 3 चरण में 1337 गांवों में जलसंकट निवारण के काम करने का नियोजन है। नलयोजना दुरुस्ती पर 31 करोड़ रुपए का प्रारूप मंजूर है। वहीं कुओं की गहराई बढ़ाने के लिए सवा करोड़ रुपए खर्च अपेक्षित है। नए बोरवेल के लिए नियोजन में गत वर्षों के मुकाबले काफी कम निधि का प्रावधान किया गया है। बता दें कि, गत कुछ वर्षों में प्रति वर्ष 800 से अधिक नए बोरवेल खोदे जा चुके हैं। अब नए बोरवेल से बेहतर पुराने बोरवेल को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। गत वर्ष 595 बोरवेल फ्लशिंग का प्रयोग सफल होने पर अब इसी पर जोर दिया जा रहा है। इस वर्ष 1100 बोरवेल के फ्लशिंग का नियोजन है। अनुमानित 3 करोड़, 65 लाख रुपए खर्च अपेक्षित है। वहीं 1100 बोरवेल खोदने पर 13 करोड़, 75 लाख रुपए खर्च आता है। यानी नए बोरवेल के मुकाबले फ्लशिंग एक चौथाई खर्च में होगा। इस तकनीक को अपनाने से जिला परिषद की 10 करोड़ रुपए बचत होगी।

जलसंकट निवारण कार्यक्रम अंतर्गत पुराने बोरवेल का जलस्रोत सूख जाने पर नए बोरवेल खोदे जाते हैं। इस पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। एक नए बोरवेल की जगह 4 बोरवेल का फ्लशिंग कर जलसंकट को मात दी जा सकती है। इसमें 75 प्रतिशत खर्च की बचत होगी। धरती का भी सीना छलनी होने से बचेगा और जलस्तर पर प्रतिकूल परिणाम भी नहीं होगा। जिला परिषद के यांत्रिकी विभाग की इस संकल्पना को अधिकारी और पदाधिकारियों ने स्वीकृत किया है। इस वर्ष फ्लशिंग को प्राथमिकता देकर जहां पुराने बोरवेल का विकल्प नहीं है, वहां  नए बोरवेल का नियोजन किया गया है। 1100 बोरवेल फ्लशिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

जिले में 9 हजार बोरवेल

नीलेश मानकर, उपअभियंता, यांत्रिकी विभाग, जिला परिषद के मुताबिक जिले में फिलहाल बोरवेल की संख्या 9 हजार के आस-पास है। ज्यादा बोरवेल खादेने पर भूजल स्तर पर प्रतिकूल परिणाम होता है। जलसंकट निवारण के लिए पुराने बोरवेल का फ्लशिंग कर जलस्रोत को पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस वर्ष 1100 बोरवेल के फ्लशिंग का नियोजन है।
 

      वर्ष                  बोरवेल           खर्च

  2015-2016           410         3 करोड़, 61 लाख

  2016-2017           775         7 करोड़, 44 लाख

  2017-2018           818         8 करोड़, 86 लाख

  2018-2019           695         9 करोड़, 19 लाख

  2019-2020          208         2 करोड़, 75 लाख

Created On :   11 March 2021 3:18 PM IST

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