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तृतीयपंथियों को आरक्षण के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने राज्य के समाजिक न्याय विभाग से मांगा जावब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सार्वजनिक उपक्रम की नौकरी में तृतीयपंथियों को आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के प्राधन सचिव व अन्य संबंधित विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। याचिका में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीसिटी ट्रांसमिशन कंपनी (महापारेषण) में निकली भर्ती में तृतीयपंथियों को आरक्षण देने की मांग की गई है। अधिवक्ता क्रांति एलसी के माध्यम से एक तृतीयपंथी की ओर से इस मामले को लेकर दायर याचिका में कहा गया है कि महापारेषण ने 170 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन में नियुक्ति के लिए जातिगत आरक्षण,महिला व दिव्यांगों के लिए आरक्षण का उल्लेख है। लेकिन ट्रांसपर्सन के आरक्षण को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि महापारेषण ने तृतीयपंथी को नौकरी के लिए आवेदन करने की छूट दी है लेकिन उनके लिए किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तृतीतपंथियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए नौकरी में आरक्षण का देने की बात कही है। इसके बावजूद तृतीयपंथियों को आरक्षण देने को लेकर कोई नीति नहीं बनाई गई है। यह पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति संतोष चपलगांवकर की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता क्रांति एलसी ने कहा कि 29 दिसंबर 2022 को महापारेषण की ओर से निकाली गई भर्ती को लेकर परीक्षा होनी है। जबकि 15 जनवरी 2023 तक परीक्षा के परिणाम आना अपेक्षित है। इसके बावजूद तृतीयपंथियों के आरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। वहीं सरकारी वकील मनीष पाबले ने इस मामले में जवाब देने के लिए समय की मांग की। इस पर खंडपीठ ने तृतीयपंथियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर तृतीय पंथियों को लेकर याचिकाकर्ता के वकील की बातों से सहमति जाहिर की। खंडपीठ ने कहा कि चूंकि भर्ती का परीक्षा परिणाम 15 जनवरी को आना है इसलिए हम इससे पहले यानी नौ जनवरी 2023 को इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। तब तक मामले को लेकर सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव व संबंधित विभाग हलफनामा दायर करें। इस तरह से खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई को नौ जनवरी 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया। याचिका के मुताबिक तृतियपंथियों को नौकरी में आरक्षण न दिया जाना उनके जीविका अर्जित करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है।
Created On :   15 Dec 2022 6:44 PM IST