कभी चहार दीवारी ही थी जिस माँ की दुनिया अब उसे स्कूटर पर सारा देश घुमा रहा बेटा
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मैसूर के 44 वर्षीय दक्षिणामूर्ति कृष्णकुमार यानी डी. कृष्णकुमार की कहानी जो भी सुनता है, वह भावुक हो जाता है। वे अपनी माँ को जीवन की हर खुशी देने के लिए स्कूटर पर देश-दुनिया का भ्रमण करा रहे हैं। उन्होंने एक बार माँ से प्रश्न किया कि माँ क्या आपने तिरुअन्नामलाई, तिरुपति आदि स्थानों के दर्शन किए हैं, तब 73 वर्षीय माँ चूड़ारत्नम्मा ने जवाब दिया कि "बेटा मेरा जीवन तो चहार दीवारी में अपने परिवार की जिंदगी सँवारते हुए बीता है। मैंने तो घर के पास का मंदिर भी नहीं देखा'। इस उत्तर ने एक बेटे को सोचने पर मजबूर कर दिया। तब डी. कृष्णकुमार ने कॉर्पोरेट टीम लीडर की जाॅब छोड़कर 16 जनवरी सन् 2018 में स्कूटर पर माँ के साथ यात्रा शुरू की। अब तक वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक 66 हजार 240 किलोमीटर का सफर पूरा कर चुके हैं। नेपाल, भूटान की यात्रा भी उन्होंने की है। माँ को देश के तमाम तीर्थ स्थल दिखा चुके हैं, कई शहरों व अनगिनत गाँवों का वे भ्रमण कर चुके हैं। वे अपने सफर के पड़ाव में शहर पहुँचे हैं। मदन महल स्थित राम मंदिर में मंगलवार को उनसे सिटी रिपोर्टर ने खास बातचीत की।
पिताजी की निशानी है स्कूटर
कृष्णकुमार बताते हैं कि वे एक पुरानी स्कूटर पर अपनी यात्रा कर रहे हैं, जो कि उन्हें उनके पिताजी ने गिफ्ट किया था। आज वे इस दुनिया में नहीं हैं। ऐसे में यह स्कूटर दर्शाती है कि दो नहीं तीन सदस्य साथ यात्रा कर रहे हैं। ये स्कूटर पिताजी की मौजूदगी का अहसास दिलाती है। वे बताते हैं कि संयुक्त परिवार के चलते माँ का पूरा वक्त घर परिवार की सेवा में ही बीतता था। घर की चहार दीवारी ही उनकी दुनिया थी।
माता-पिता बोलने वाले भगवान हैं
"माँ के चरणों में स्वर्ग है, मैं उस जीवन को जी रहा हूँ। माँ के साथ रहना, उनकी सेवा करना, उनकी हर इच्छा पूरी करना। यही मेरे जीवन का उद््देश्य है।' कृष्णकुमार कहते हैं कि माता-पिता बोलने वाले भगवान हैं जो कि हमेशा हमारे साथ रहते हैं। आप उनकी जीते जी सेवा करें। उनसे कम से कम दिन में आधा घंटा बैठकर बात जरूर करें। ऐसा करने से माता-पिता को तो खुशी मिलेगी ही, आपको भी आत्मसंतुष्टि व खुशी महसूस होगी।
धन्य हूँ ऐसा बेटा पाकर | माँ कहती हैं कि "मेरा जीवन रसोई घर में ही बीता। मेरे बेटे ने मुझे देश दुनिया की सैर कराई। हमने तीर्थों के दर्शन कर जीवन को सार्थक बनाया। वो पहले मुझे खिलाता है फिर खुद खाता है। मेरी दिन-रात सेवा करता है। मैं ऐसा बेटा पाकर धन्य हूँ।'
Created On :   29 March 2023 7:15 PM IST